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चाहिए! चाहिए! चाहिए!

पंसारी की दुकान है उपर आसमान में, हाथ उठे हैं और सबको सामान चाहिए! काम फ़कीरी का ज़रा आसान चाहिए क्यों दुआ माँगें के सुख-सामान चाहिए! क्यों लाउड़स्पीकर भर भजन, इबादत है? नेमत बरस रही है आपको कान चाहिये! लॉटरी वाले का नाम भगवान चाहिए, मन्नत पूरी होना ज़रा आसान चाहिए! क्यों शोर मंदिर-मस्जिद-गिरजे में इतना है, काफ़ी नहीं के सबको इंसान होना चाहिए? बस एक फ़िक्र के दोनों हाथों में लड़्ड़ू हो, भगवान चाहिए या सिर्फ़ भगवान...! चाहिए? हाथ खड़े कर रख्खे हैं मंदिर के भगवान ने, आज़ादी के लिये शायद इंसान चाहिए! सुना, सब कुछ संभव है इंसान चाहे तो,  बस गुंड़े, दलाल, ओ लाठी बंदूक चाहिए!  

तलाश के खोये!

हमें भी शौक है जिंदगी दांव पर लगाने का कोई काम पर इस कदर मुश्किल नहीं मिलता अजब है जिंदगी फ़िर भी एक शिकायत है आँसू पोंछते है साथ कोई रोये नहीं मिलता जिंदगी ने कुछ यूँ भी मंजर दिखाये हैं, सुख बाँटता है जो, वो ही सुखी नहीं मिलता अब शहरों में मेले भी ऐसे लगते हैं, हर कोई मिलता है कोई खोया नहीं मिलता भीड़ में कई पहचाने चेहरे हैं, अकेले कोई पहचाना नहीं मिलता! सहर होती है शहर में, रात कितनी बदनाम हो, सुबह भूला कोई भी किसी शाम नहीं मिलता हर कोई वही चलता है जिसका चलन है! अपने रस्तों का कोई जिम्मेदार नहीं मिलता किसको पूछे कौन बताये, ख्वाब हमारे क्या घर जायें बहुत हलचल है वहां अब कोई सोया नहीं मिलता