पैर के छाले हों, या खाली निवाले हों, लूट गए रास्ते में, घर बैठे बेघर हो गए, जिस जमीन को सींच रहे थे बंजर वहां के मंजर हो गए, सब याद रखा जाएगा! उधर सफ़ूरा जेल में है, बरबाद वक्त को समझाती हुई कल फ़िर आएगा क्या भुला रही है सरकार वो याद रखा जाएगा! बचपन के खेल, कंधे पर सवार, या सूटकेस सवार, रोटी की गुहार, मां लाचार, हाथ फ़ैलाए, करे पुकार हक़ जो भीख बन गयी वो याद रह जाएगा! ट्रेफ़िक सिग्नल वर्दी का इशारा जवान खून उबल गया, ज़रा आगे निकल गया चालन नहीं कटा, पत्ता कट गया, कानून अपनी कर गुजर गया, सब भुला दिया जाएगा क्योंकि बात कश्मीर है कन्याकुमारी नहीं! पिंजरा तोड़, सलाखों के पीछे हैं, इंसाफ़ साथ में कैद है, सही-गलत में भेद न्यायपालिका खेद दलील में छेद, और एक कानून फ़िर एक बार पिंजरा तोड़, सलाखों के पीछे क्या याद रखें, क्या सीखें?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।