रास्ते हैं, जिंदगी से यही अपने वास्ते हैं, कहां पहुंचेंगे, ये सवाल बेमानी है, मोड़ आयेंगे, मुड़ जाइए, कभी भटक जाएंगे कभी खो जायेंगे, ढूंढने आपको रास्ते ही आयेंगे रास्ते आपको कम नहीं करते, न ही साथ छोड़ते, कभी लड़खड़ाए, कभी छिल गए घुटने रास्ते बस कह रहे रुकने, संभलने, जरूरत समझ बदलने! भागते क्यों हैं? करिए अपने कदमों का यकीं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।