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राय-मशवरा?

ताजा खबरों से क्यों बदबू आती हैं? किस तहज़ीब की बात बतलाती है? बद से बदतर हैं, ये हालात, अक्सर हैं! आज सड़क पर थे, कल आपके घर पर हैं? अपने से क्यों दूर हैं, क्यों भेड़चाल मजबूर हैं? सवाल पूछना भूल गए? कही-सुनी के शूर हैं? जानकारी के उस्ताद हैं, किनारों के गोताखोर, जो नज़र में सब सच है, बस उसी का सब शोर! खुद से खामोशी है, या अजनबी मदहोशी? नज़र नही आते कत्ल या नज़रिया बहक गया? बाज़ार है, सामान भी, सच की दुकान भी, ख़रीद रहे हैं सब, ओ बस वही बिक रहा है!! डर का ख़ामोशी, न्यूज़ चैनल के शोर, तिनके डूब रहे हैं, किसके हाथों डोर? दिमाग प्रदूषित है और  सोच कचरा बनी है, न जाने इंसान ने क्या क्या  सच्चाई चुनी है! सूफ़ियत तमाशा बन गयी है, फ़कीरी धंधा बनी है, बाज़ार ख़ुदा हुआ है ओ सच्चाई दुकान है!

सच खबर नज़र असर

  जमूरियत के सब जमूरे बन गये हैं, मुफ़्त मिल रहा है वो सच खरीदे हैं! चौबीसों सात आप पर पैनी नज़र है तमाशाई कौन है ये फ़रक कैसे कीजे? खबर ये है कि आपको खबर ही नहीं, और आपको खबर है कि खबर ही नहीं! आपके सच ऐसे हैं कि आपको सच का असर नहीं, वो नज़र आयेगा कैसे जो आपको नज़र ही नहीं! जो आपको असर कर दे उसकी खबर है, जो खबर है उसका आपको असर ही नहीं! क्या खबर है और किसको खबरदार करें, बिक गये रद्दी में अब जिसको अखबार करें!

दास्तान-ए-सहाफ़त!

सच्चाई जाहिर है पर जिक्र नहीं कोई चौपालो पर, इस दौर की बातों के सिलसिले कुछ और हैं! हर चोट खबर, हर खोट खबर, हर लूट, हर फ़ूट खबर, घर के बाहर शैतान दुनिया, घर बैठे देखो खूब खबर! ब्रेकिंग न्यूज़ का मुकाबला है, गिरेबान घुस के देखते है, जनाज़ों, जख्मों औ हादसों पे अपनी रोटी सेंकते है! खबरांदाज़ी है या मसला - ए – कबड़्डी है, बने बकबकिये सब और खौफ़ फ़िसड़्डी है! सारे सच इनको मालुम, और हर सच की कीमत भी,  लहजे से जाहिर होती है पर खबरी की नीयत भी! दास्तान-ए-सहाफ़त है या कोई फ़िल्मी तहरीर है, गयी भाड़ में आँखों-देखी बस मनमानी तस्वीर है! राय-मशवरा हर बात पे, ये खबरों के काज़ी है, सुन रहे सब सुनने वाले, मिंया-बीबी राज़ी हैं। निन्यान्वे फ़ीसदी सच काफ़ी नहीं, आपकी मज़बूरियों को माफ़ी नहीं, आप अपनी सच्चाईयों में गड़े है, क्या उखड़ेंगे आप फ़क्त मुर्दे बड़े हैं! "जो आप की नज़र में है, वही आज़ की खबर में है, क्या समझें बारीकियों को ध्यान जिनका असर में है!" खबर इश्तेहार बन गयी है, और इश्तेहार खबर है, आलमगिरियत है या खला इखलाख़ी का असर है? बेगर्ज़ी की बात में ...