आडवाणी मोदी शाह ठाकरे बेगुनाह मेमन गिलानी प्रो.साईबाबा, तीस्ता अपराधी यही सच है यही ताकत सत्यमेव बिकते कर लो जो कर सकते, मुँह में साइलेंसर आखों में वाइपर सच वही जो मेरे फ्लेट, मेरी गाड़ी के रस्ते न आये भाई हम सीधे साधे लोग है हाँ हाँ हम भी जो हो सके करते हैं गीले और सूखे कचरे के लिए हमने अलग डब्बा रखा है अब हर कोई तो... टीवी चैनल पे तो ऐसी कोई बात नहीं हम कैसे आपकी बात मान लें अब सुप्रीम कोर्ट ने बोला है तो हाँ देखा तो था, वो दातृ की पचास करोड़ की प्रॉपर्टी, बड़े लोग है....हैं हैं हैं हमें अपनी जिंदगी जीने दो हमें नहीं समझता... हमें तो सब ही अपराधी लगते है अब क्या करेंगे.......
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।