अनेकता में एकता है? कौन इतनी फेंकता है? ...नाम बताओ तो सब सरनेम पूछते हैं! सवर्ण कहाँ संविधान है? लाखों पांव के छाले पूछते हैं? आप बूझते हैं? भारतीय साथ दीजिए, प्यार कीजिए, इज़हार कीजिए! कहिए क्या सवाल हैं? भलेमानुस घर छोड़ कर आए हैं, खाली हाथ घर वापस ये देश के पराए हैं! मजदूर बढने की उमर है, पर किधर जाएं? खाने, खेलने, सोने, बच्चे मालिक ने निकाल दिआ सरकार ने टाल दिआ, पुलिस की लाठी, गाली ताली कोई परेशानी नहीं, टीवी भगवान है, बीबी पकवान है! भक्त मर्द कितने हमदर्द हैं, कितने साथ आए हैं, कितने छुट गए, ओझल!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।