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एक कतरा समंदर!

जो भी है मेरे अंदर है, एक कतरा, एक समंदर है! कतरा एक-एक, एक मंज़र है नज़र में आपकी मंतर है! वो मंतर जो छूमंतर है! मेरे रस्तों का तंतर है! रस्तों रस्तों का अंतर है, अंत मिटा सब अंतर है! अंत भी एक निरंतर है, जीवन जो जंतर मंतर है! जीने मरने में फर्क क्या? सब चार दिन के अंदर है! एक लम्हे सारी उम्र बसी, दिन चार, चार समंदर हैं! एक समंदर तुम, एक मैं, और सफ़र सात समंदर ये! हमसफ़र रास्ता भी हैं, सफ़र ऐसे मुक़म्मल हैं! बिन ख़ामी कौन मुक़म्मल? हर कतरा एक समंदर है!