यूँ की यूँ ही कुछ नहीं होता, इत्तफाक से, एक आग है, जो पलती है, ओ जलती है, आपके एहसास, रवैये में, जज़्बे में, बात में, आपके सवाल, आज़ाद हैं, आपके कब्ज़े में दम नहीं तोड़ते, दुनिया की ज़ंजीरो में, हरदम तय तस्वीरों में, जो आपको समेटना चाहती हैं, अपने रंग-ढंग और तौर में, आप जुदा हैं, इसलिए गुमशुदा हैं, अपनों में, ढूंढते, हमदिली! (समर्पित उस जज़्बे को जो लड़की होने की सारी चुनौतियों से दो-चार होते, अकेले, अपने सच को तलाशती रहती है)
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।