और हम इन्सान हैं, यही विज्ञान है, सोच और समझ, नज़रिये और नज़ाकत, बेहतरीन नस्ल है, न खत्म होने वाली फ़स्ल है, सबसे आगे, इतना, कि कंहा से शुरु हुआ वो अब खबर नहीं है, और जरुरत भी क्यों हो, हम हकीकतें बनाते हैं, जो पसंद हो, उसी को सच का ज़ामा पहनाते हैं, मज़हबी, सियासी, तहज़ीबी, इक़्तेसादी मुए! हम नूए ही ऐसे हैं, जंगल, जानवर, जमीं ज़ायदाद हैं, खर्च करने की चीज़, और हम करते हैं, दिल से, दिमाग से फ़र्क करते हैं, जो हमारे काबिल नहीं, उसका बेड़ागर्क करते हैं, हम इंसान हैं, बस यूँ समझिये, इस दुनिया के भगवान हैं, हर शक्ल ताकत करते हैं, बुद्ध और सांई सोना है, पैसे का बिछौना है, कारोबार इबादत करते हैं, पैगाम शहीद हैं और पैगम्बर एक अच्छी खरीद और हम सब मुरीद हैं! इख्तेसादी - Economic; पैगम्बर - Messiah; मुरीद - Follower
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।