अजनबी अपने ही मुल्क में, यूँ हमसे वास्ता कर लिया? सब कट लिए अपने अपने रास्ते, क्यों हमने ये रास्ता कर लिया? हम यकायक सामने आए, उसने पतली गली को रास्ता कर लिया! घर से इतना दूर कैसे हो गए शहर ने ऐसा रिश्ता कर लिया! मजबूर हैं तो मदद मिल गई, मजदूर खस्ता हाल कर दिया! जितने थे यकीं सब टूट गए, मूरख थे सो भरोसा कर लिया! वंदे मातरम जबरन बुलवा के देश भक्त मूरख बना दिया! लाठी पुलिस की बोलती है, इसने कब सरम कर लिया? मेहनत बड़ी सस्ती है यहाँ, लंबा घर का रास्ता कर लिया! भूखे रहें बच्चे कि हाथ फ़ैलाएं इज्ज़त यूँ दरबदर कर दिया! पूछते हैं के वापस आओगे? बेशर्म शहर सवाल कर लिया! जात धरम सब याद दिलाए, सरकार ये कमाल कर दिया
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।