युंही कोई बात नहीं होती, युंही कोई साथ नहीं होता फ़क्त ईरादे नेक रखिये, हर लम्हा हालात नहीं होता! वही पुरानी बात है, वही काली रात है, लम्हों का साथ है, शब्दों की बारात है! दो पल गुम हुए, दुनिया घुम गयी किस ओर, डोर पकड़े बैठे थे, हाथ रह गयी एक छोर! लम्हों का असर हो, लम्हों का कहर हो, ज़ुबाँ बयाँ करती है, जो लम्हों को नज़र हो! खोये हैं देर से, या लम्हे युं ही सोये हैं कैसे काटें अकेले जब साथ बोये हैं! क्या आप अपने लम्हों के सच्चे हैं, या इस हिसाब में थोडे कच्चे हैं, लुड़क रहे, दिल ने जो दिये गच्चे हैं, क्या कीजे इश्क़ में हम बच्चे हैं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।