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अखूंड भारत!

 हिंदू धर्म करो, थोड़ी शर्म करो, थोड़ी और, नहीं, इतनी काफी नहीं! कितनी भी काफी नहीं! और अगर गर्व है तो, उठो, नाम पूछो  राम पूछो! और अगर शक है, तो गर्व करो, पर्व करो, उसके सर को धड़ के दूसरी तरफ करो, न बांस रहे न बासुंरी, बस रेप, त्रिशूल, छुरी! फिर बस बचेंगे हिंदू, देश में, दिमाग में, सोच में, समाज में, जगह कम ही पड़ेगी, तंग सोच को, लगनी भी कितनी है, कातिलों का झुंड, भारत अखुंड!

अखलाक का खून!

आत्मचिंतन, समुद्र-मंथन प्राचीन,  परंपराम, गौरव सहनशीलता, सहिष्णुता, वेद-पुराण,  ज्ञान-गुणज्ञान गीता का दर्शन समझ- संस्कृति शून्य की खोज दशमलव का विज्ञान भारत महान हाथी  के दाँत दिखाने वाले और खाने वाले नरभक्षी, वहशी इंसान सोच हथियार, समझ तलवार  जाति छोटी-बड़ी औरत पैरों में पड़ी गालियों में माँ-बहन का भूत, अहं हिंदू होने का या कमतरी का सबूत कपटी-धूर्त मंदिर में मूर्त पुजारी पहलवान सोने की खान चढावे को बढावा हिंदू को हिंदू का खून गाड़ा दूसरे का खून पानी कल की कहानी गाय माँ और नानी, मासूम जवानी,  गुस्से की निशानी मज़हब का ज़ुनून अखलाक का खून!

राम, धरम और एक आसा!

आसा अब राम जपे या अपने कान पकड़े, पैर छूने गये तो बाबा ने गरेबान पकड़े! धर्म का नाम बलि है, गवाहों को स्वर्ग मिली है!  आसा के तो राम हो गए, बाकी सब 'हे राम!हो गए ॐ जय जगदीश हरे, आसा से सब राम मरे! आसा ने कितनों को राम का प्यारा किया, मर गए सब जिनने आसा से किनारा किया  रामप्यारे, वारे न्यारे, भक्त बधारे, मूरख सारे सब झूठी आसा के मारे! राम के बंदे हैं या राम के धंधे मस्ज़िद की कब्र पर मंदिर बनाएंगे, इससे ज्यादा घटिया लोग कहाँ पाएंगे  मज़हब इंसाँ हमको करता है थोडा कम, धर्म धंधा है कामयाब गरीब गले का फंदा! इस मुल्क में अब राम की शरण है, या आपातकालीन मरण है!

बाअदब, बामुलाहिज़ा, होशियार

चलने के नये रास्ते इज़ाद होते हैं, घुटनों पर चल लोग आबाद होते हैं तालीम बरसों की आखिरकार रंग लायी है हुक्मउदूली एक कला बन सामने आयी है! वतनपरस्ती फ़िर एक धारदार हथियार है, आप की मर्ज़ी अब सियासी कारोबार है! खुली हवा भी अब एक व्यापार है, हर वीक-एंड़ इसका कारोबार है! रस्ते साफ़ हो रहे हैं लकीरें मिटाने को कत्ल माफ़ हैं अब नये सच जुटाने को जो गुम हैं वो अब गुमशुदा नहीं होते, भटके हुए अब रस्ते नहीं खोते! एकता में सुना बड़ी ताकत होती है,  और ये भी कि ताकत बहका देती है! बाअदब, बामुलाहिज़ा, होशियार, अच्छे दिन आ रहे हैं! हम सब एक हैं, अब भारत स्वच्छ होगा भारत माता के जय, विजय, राम, नरिनदर बेटियाँ अच्छी घर के अंदर हकीकत तारीख बन रही है  और तारीख की हकीकत बदलती है,  सियासी गिरगिट है गोया बदलते रुख से रंग बदलती है!