हिंदू धर्म करो, थोड़ी शर्म करो, थोड़ी और, नहीं, इतनी काफी नहीं! कितनी भी काफी नहीं! और अगर गर्व है तो, उठो, नाम पूछो राम पूछो! और अगर शक है, तो गर्व करो, पर्व करो, उसके सर को धड़ के दूसरी तरफ करो, न बांस रहे न बासुंरी, बस रेप, त्रिशूल, छुरी! फिर बस बचेंगे हिंदू, देश में, दिमाग में, सोच में, समाज में, जगह कम ही पड़ेगी, तंग सोच को, लगनी भी कितनी है, कातिलों का झुंड, भारत अखुंड!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।