एक छत चार दीवार घर गली शहर सुबह शाम चार पहर वास्ते किसके, किससे, साथ, रिश्ते दोस्ती आसमान, जमीन, पेड़ पौधे रंग हजार, ऊंची उड़ान, गले मिलती हवा धूप सहलाती वास्ते किसके किससे! साथ रिश्ते दोस्ती ये धरा आपकी क्या है आपकी पहचान?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।