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वही पुराना नया साल!

क्यों पूछते हैं के; ये साल कैसा है? जो हम कहें; ये सवाल कैसा है? इलाज़ नहीं मर्ज़ का और हाल कैसा है? दफना दिया ज़हन में वो सवाल कैसा है? खुशी किस बात की, बवाल कैसा है? आसमान भेदती तरक्की का अंजाम कैसा है? ख़बर बन कर आता इश्तहार कैसा है? उम्मीद कैसी है यकीन कैसा है? ख़ुदा को दफन करके राम कैसा है? मज़ाक बन गए हैं इलेक्शन सारे, सच, क्या मन की बात जैसा है? बेशर्म है नहीं मरता, इंसान कैसा है! गला दबोच के रखा है साल भर से, कोई सुनेगा वो पेलेस्टाइन कैसा है? क्या बदला है जो ये साल बदला है? जरा सोचिए ये सवाल कैसा है?

जय श्री राम!

घर में सबको भगवान चाहिए, मंदिर का रास्ता आसान चाहिए, पैसे से मिलते है दर्शन, फिर किसको लंबी लाइन चाहिए! लोग मक्खी की तरह फिरते हैं, पहले घर को सामान चाहिए, कौन तपस्या करे, और तीर्थ पैदल करे, जन्नत के लिए अब विमान चाहिए! सीधी ऊँगली से नहीं मिलता, तरीका सबको शैतान चाहिए। कोई और करे तो बुरी बात है, किसको अपनी तरफ ध्यान चाहिए! टीवी सीरियल बन रही है ज़िन्दगी, सुनने को दिल की बातें 2 एक्सट्रा कान चाहिए, हर गली में मंदिर, हर पूजा पंडाल, जहाँ मर्जी कचरा, हर दीवार मूत्रपीकपान, बस उतना आसान भगवान चाहिए! किसने देखा है कितनी मुश्किल आसान? हो रहा है बस इतना सबको भान चाहिए! जो समझ सकते हैं सच्चाई वो बच्चे हैं, उनके दिमाग में सेंध लगानी है, अब तक मान्यता की बातें होती थीं, अब भगवान को विज्ञान चाहिए!! भगवान की क्या औकात हाथी को श्रीगणेश करें, प्लास्टिक सर्जन कोई उस टाईम चाहिए! प्रभु की क्या जुर्रत की जमीन आसमान करें, इंजीनियर का बनाया पुष्पक विमान चाहिए! कुछ नया नहीं है दुनिया में, हमेशा होता आया है, अंधभक्ति को मूरख इंसान चाहिए! जय श्री राम......देव, आसा, रवि...

गुठली के दाम!

राम का नाम, मासूमों की जान, सियासत तमाम, शरीफ़ों की ख़ामोशी,  समझदारों की तकरीर, ज़ाहिल तालीम, और तजुर्बों की ज़हालत, बेड़ा-गर्क है मियाँ और इरादों की वकालत? धोका खाने का उतना गम नहीं जो इस एहसास का, कि हम आदमी आम निकले! भगवान के नाम पर दे दो अपने वोट! सियासत में भिखारी तमाम निकले!! जितने थे सरपरस्त सब हराम निकले!  कोई नहीं जिसके मुंह 'हे राम' निकले !! सियासी दंगलो के अब नए सामान निकले!  कहीं राम निकले तो कहीं कुरान निकले!!  भक्तों ने तेरे तुझे ही गलत साबित किया!  छुरा भोंक कर देखा, कहाँ पर राम निकले!! जिसने खुदा का नाम बदला उसको मारा! हे भगवन, तेरे भक्त बड़े  शैतान निकले!!  जरुरत पड़ गयी तो दोस्ती का वास्ता! फिर मिलेंगे जब कोई काम निकले !! साथ है, तो हाथ तुमको, क्यों कर जरुरी है! कोई सौदा है आम, कि गुठली के दाम निकले? कोई नयी बात नहीं, तरह तरह के राम निकले! हर युग में सीता की बस यूँ ही जान निकले!! (मंदिर मस्जिद के प्रेमी व्यापारिओं से परेशां हो कर  बाबरी कांड और उसके बाद...