पुरा होने का शौक किसको है, चलिये थोड़ा कम हो जायें! कामयाबी का जिक्र कहाँ है, आसाँ काँटों की चुभन हो जाये! मंज़िलों को दिलासा देने को सपनों को जरा भरम हो जाये होंगे जो नज़र आसमान करते हैं, क्या बुरा गर जमीनी रंग हो जायें! बेरुखी मौसम खराब करती है, बेहतर है थोड़ा नम हो जायें! खामियाँ हैं सबकी ड़र किसका, कि यूँ आसानी से हज़म हो जायें! पूरा होना है अगर आपको, लीजे मेरा अधूरापन हो जाये!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।