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प्यार की अनर्थगणित

चलो जिन्दगी कि गणित बदल दें, उम्र प्यार कि हो, (जितनी बढे उतना अच्छा), दिन कि जगह दूरियों की सोचें, (जल्दी गुजर गया तो अच्छा) महीने मुलाकातों से बदलें, और साल लोगों से जुड़ने पर, जब दिल आये तो वक़्त थम जाये और टूटे तो काफ़ुर हो जाये वार, मिज़ाज़ से बदलें,   प्यार सोमवार, इकरार मंगलवार, यार बुधवार रुठ गुरुवार, मन्नतें शुक्रवार, सुलह शनिवार, रंगीला रविवार, वैसे दिन तो लंबा होता है, क्या हिसाब हो, प्यार में हर दिन एक साल है, महीने लम्हों से बने,  और हफ़्ते पल पल के हों, आप इश्क़ में हैं, तो समझेंगे, मौसम बदलते देर नहीं लगती, दिल की धड़कनें, घड़ियों से नहीं चलती हालात महीनों नहीं संभलते, हाथ में हाथ हो, तो युग बदल जायें मौसम नहीं बदलते, दिल के केलेंडर, किसी फ़ोर्मुले पर नहीं चलते इश्क़ के खेल में गणित फ़ेल है, दुनिया सर पे उठा ली,  और ये मत समझना कि हिसाब में कमज़ोर हैं, दिल में चोर है, या दाढी में तिनका, घडियाँ गिनी हैं  पल पल सहेज़ के रखा है,  हर लम्हे का हिसाब है, पहली नज़र, खामोश असर, बरसों सबर, वो हसीन सहर, नज...

दिन रात

रात बैठी हे सिऱहाने पर, तुली है आखॊं में आने पर पर जहन मश्कुर है, कैसे बैठे जमाने के पैमाने में सुबह पैरॊं तले सिकुडी पड़ी है, ये घडियों की गुलामी बड़ी है अपनी कौन सी अड़ी है, गुजर जाये जो जल्दी पड़ी है! शाम ऐसे इतरा रही है, जैसे गुजरना ही नहीं है, दिन गया तो रात सही, कुछ करना ही नहीं है. धुंध छाई है, आज रौशनी ही परछाई है, ये कैसी सुबह है, सूरज ने ली अंगडाई है सुबह कि ठंड से जल गया सूरज, मन ठान के फिर चल गया सूरज, ओड़ती चादरॊं ने अहं को आवाज़ दी, चल गयी दुनिया, जल गया सूरज रात के पहलु में बैठे दिन कि बात करते हैं, ठिठुरती दीवारों में ख्यालॊं कि राख करते हैं, ठहरी अंगडाईयॊं को कहाँ कुछ खबर है, यूँ ही हम अक्सर बात करते हैं ! एक दिन की तीन करवट, हर मुश्किल नहीं पर्वत कुछ हलचल है दिल की, कुछ जहन ने की हरकत