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बी बहार!

कैसे हम भुला दिये कश्मीर की पुकार!?  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!  दिल्ली वाले सोचते हैं ये आखिरी प्रहार  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!    in क्या इरादा मुल्क जो करता है ज़ुल्म बार बार!  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!  दिन नहीं गिनते पर उस दिन का इंतजार,  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!    परेशां है अम्मी, मुस्कराते बच्चों को देती पुकार,  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!  वर्दी की मनमरजी है, जमहूरियत तार-तार  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!  बोलने पर बंदिशें और सुनने को नहीं तैयार  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!  देख हाल हमारा हंसते है, आप हैं बीमार  वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! 

सच सुनाएं या बच्चे मुस्कराएं?

ठक ठक ठक , लेफ़्ट राइट लेफ़्ट राइट , ढाएं , ढाएं , ढाएं , बच्चे - अम्मी , बहुर डर लग रहा है ,  गोलियां चल रही हैं ? https://www.instagram.com/p/B1ddPWylIcR/?igshid=1goo4duli7fg5 इतना पहरा क्यों हैं ? ???????????? स्कूल ? क्यों इंटरनेट मुँह चिढाता है ? ईद ? और और और ) अम्मी - ( गहरी सोच में ) सवाल हजारों जवाबों की खोज में सब बंद है , मौत सी खामोशी चार दीवार दुनिया बन गई है , जैसे सरकार कब्र की दीवारें चुन गई है फ़िर भी बच्चों को कैसे बहलाएं , कैसे उनको मुस्कान दिलाएं , झूठ ही सही उनका मन बहलाएं बहुत सोच कर टी . वी - रिमोट चैनल – दूरदर्शन समाचार - ताजा खबरों में कश्मीर में सब सामान्य ! अब बच्चे मुस्कराएंगे ? आप आईना देख पाएंगे ?

आधाजी आजाजी आदाजी!

कश्मीर में उम्मीद कैद, आवाज़ कैद, सारे एहसास कैद, और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवाय! और लगे हैं सब भेड़ बनने में और भी राय हैं दुनिया में सबकी एक राय नहीं, आंखे खोलिए, सुनिए, मत कहना बताए नहीं! जवान को फ़रमान बस बलि के बकरों को शहादत का झाँसा, वाह! सियासत क्या खूब तूने फाँसा! ताकत सड़कछाप बन गयी है चुप, ख़बरदार, मुँहबंद, ये जुर्रत कुछ कहने को है, ये हिम्मत? "जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है, बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!! चुप, नफ़रत जारी है मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा, और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे! खासी तैयारी है "जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है, बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!! कुछ बोलना भारी है कितनी बरबाद आज़ादी है? गूंगी एक बडी आबादी है! चलिए घांस चरते हैं,  या चल कहीं मरते हैं! धर्म के अंधे सब मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा, और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे! खामोशी गुनाह है हमसे म...