सच में अब ताकत नहीं है, ताकत में ही सब सच है! बोल रही खामोशी है, चीख़ रही बेहोशी है, जो चुप है वो आवाज़ है, ओ कुछ भी जो अलग अंदाज़ है! भीड़ जो है कानून बन गयी, पुलिस मेजबान बन गयी आम जगह बनी शमशान, धार्मिक लोकतंत्र की शान! अल्हा को अब राम बचाए? वेद पुराणों के दिन आए? अखंड भारत, महाभारत, मुर्दे की छाती पर कूदती, वानर सेना की महारथ!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।