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हिंदुत्वतन्त्र लोकभंग!

सच में अब ताकत नहीं है, ताकत में ही सब सच है! बोल रही खामोशी है, चीख़ रही बेहोशी है, जो चुप है वो आवाज़ है, ओ कुछ भी जो अलग अंदाज़ है! भीड़ जो है कानून बन गयी, पुलिस मेजबान बन गयी आम जगह बनी शमशान, धार्मिक लोकतंत्र की शान! अल्हा को अब राम बचाए? वेद पुराणों के दिन आए? अखंड भारत, महाभारत, मुर्दे की छाती पर कूदती, वानर सेना की महारथ!

"जंग?"

जंग में आसरा क्या है? भरोसा कहां है? अपनी ही हिम्मत के सहारे हैं,  उसी हिम्मत के बेचारे हैं! लाखों है दुनिया में ऐसे,  जो जंग के मारे हैं! जंग क्यों वही सारी जंग है, सोच जिनकी तंग है,  इंसान होना रंग है? भेद के सब भाव हैं,  झूठे सारे ताव हैं,  सदिओं के ये घाव हैं! संस्कॄति के दाव हैं,  नैतिकता - चारों खाने चित्त! ज़िंदगी जंग आवाजें इकट्ठी होती हैं,  जय भीम! हक की,  कुचले हुए सच,  जुल्म की लाखों परतें,  चीरते,  जमीं होते हैं! सीखते, आवाज़ उठा,  कंधे से कंधा मिलाते! जंग के हथियार खबरें बतानें को नहीं,  बनाने के लिए हैं,  जताने के लिए हैं,  बरगला कर झूठ से भीड़ जुटाने के लिए हैं, सच से ध्यान  बंटाने के लिए हैं! जंग के प्रपंच! एकता कमाल है,  अनेकता बदहाल है सब को एक साँचे में ढलना है,  भेड़ बन के चलना है  "मैं" "मैं" "मैं"  सब को लगता है "मेरी" आवाज़ है  हंसी-खुशी मन की बात मान रहे हैं  जो छ्न के आया  उसी को छान रहे हैं! आप नया क्या जान रहे हैं?

दुआ सलाम!

रास्ते में हम मुस्कराए तो वो सलाम करते हैं, आसानी से एक दूसरे को इंसान करते हैं! फेसबुक पर ज़रा बहस हुई कि इतने हैरान हो गए, आसानी से अपनों को शैतान करते हैं! टीवी पर कह दी दो मन लुभावन बातें जयहिंद बोल, ज़रा से मेकअप से उनको भगवान करते हैं! न्यूज़ में दे रहे है ख़बर, डर कर, ज़ेब भर कर, कितनी झूठी खबरों को विधान करते हैं? भक्ति में धर्म के ठेकेदार बन कर दलाल बैठे हैं, वो कहें तो आप मस्ज़िद शमशान करते हैं? लॉकडाउन हुआ घर बैठ सब राम-किशन गान करते हैं, गरीब मजदूर हथेली में जान करते हैं? कोरोना क्या इतना डरा दिया कि अब लाइन करते हैं? अछूत बने हैं और झूठी शान करते हैं? पी एम केयर नॉट राहत के काम को भी वो दुकान करते हैं? अनमोल झूठ के आप कितने दाम करते हैं?

आधाजी आजाजी आदाजी!

कश्मीर में उम्मीद कैद, आवाज़ कैद, सारे एहसास कैद, और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवाय! और लगे हैं सब भेड़ बनने में और भी राय हैं दुनिया में सबकी एक राय नहीं, आंखे खोलिए, सुनिए, मत कहना बताए नहीं! जवान को फ़रमान बस बलि के बकरों को शहादत का झाँसा, वाह! सियासत क्या खूब तूने फाँसा! ताकत सड़कछाप बन गयी है चुप, ख़बरदार, मुँहबंद, ये जुर्रत कुछ कहने को है, ये हिम्मत? "जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है, बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!! चुप, नफ़रत जारी है मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा, और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे! खासी तैयारी है "जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है, बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!! कुछ बोलना भारी है कितनी बरबाद आज़ादी है? गूंगी एक बडी आबादी है! चलिए घांस चरते हैं,  या चल कहीं मरते हैं! धर्म के अंधे सब मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा, और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे! खामोशी गुनाह है हमसे म...

अंग गणित!

जो मन में हो वो क्या तन में होता है? अगर हाँ!  तो क्या वो वज़न में भी होता है? एक बात तो तय है,  आज के ज़माने में जो वज़न में हो वही मन में होता है,  आकार से साकार होता है (साईज़ ड़्ज़ मेट्र) या ये सोचना बेकार होता है? देखने वालों कि नज़रों का भी प्रकार होता है! ये गिनती दुनिया कि बड़ी अज़ीब होती है, आकार शून्य (साइज़ ज़ीरो) हो तो  नंबर 1 कहते हैं, किस्मत कैसे पल में बदलती है देखो कल तक शुन्य नाकाम होता था, सच है कचरे के भी दिन बदलते हैं! और नंबर 6 में क्या ख़ास है? माथे पर जड़ा हो तो कलंक है, सीने पर ऊगा हो तो आप दबंग हैं (6 सिक्स पैक एब्स) तालियाँ दोनों पर बजती है, किसी पर सजती हैं, किसी पर फब्ती हैं! 2 के बीच मुश्किल आए तो तीसरा लगता है, एक साथ दिखे तो 'तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा' लगता है, और बेचारा एक,  बेपैंदी का लोटा, एक नंबर होशियार भी है,  एक नंबर गधा भी, और चार की तो पहचान ही नहीं जैसे,  भीड़ है चार, गपोड़ियों की बातें है चार, बेपेंदी का लौटा, ला-चार, व्यभि-चार, दुरा-चार बुरी बातों का अ-चार, ...

सच खबर नज़र असर

  जमूरियत के सब जमूरे बन गये हैं, मुफ़्त मिल रहा है वो सच खरीदे हैं! चौबीसों सात आप पर पैनी नज़र है तमाशाई कौन है ये फ़रक कैसे कीजे? खबर ये है कि आपको खबर ही नहीं, और आपको खबर है कि खबर ही नहीं! आपके सच ऐसे हैं कि आपको सच का असर नहीं, वो नज़र आयेगा कैसे जो आपको नज़र ही नहीं! जो आपको असर कर दे उसकी खबर है, जो खबर है उसका आपको असर ही नहीं! क्या खबर है और किसको खबरदार करें, बिक गये रद्दी में अब जिसको अखबार करें!