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धूप छाँव के खेल!

धूप छाँव के खेल हैं सब, जीते क्या हारे?  नाप-तोल की दुनिया के  हम सब बेचारे! धूप छाँव के खेल हैं सब, किस करवट क्या हो? किस मोड़ मुड़ें, क्या चाल चलें, रुख क्या हो? धूप छाँव के खेल ये सब, अब आप बताएं?  सच के ही सब खेल क्या जुगत बिठाएं?  धूप छाँव के खेल, और हर चीज़ खिलाड़ी,  जो बनता होशियार है बस वही अनाड़ी! धूप छाँव के खेल हैं सब, पलक झपक ले प्यारे!  एकही सच पर टिके जो सब, वो मत के मारे!! धूप छाँव के खेल हैं सब, किस ओर चलें?  क्या संग, किस रंग, किस ढंग कौन मिले? धूप छाँव के खेल हैं सब, किसके हिस्से क्या आए? सवाल ये भी आएगा, 'आप! क्या अपनी जगह बनाए?