अं धेरों पर रंग डालते हैं यारब , या रंग काले करते हैं दिल बहलाने को मज़हब ये कैसी चालें चलते हैं ! अ रसों से छुपाये थे , आज अंधेरे दिन में बाहर निकले हैं , रंगों की चादर ओढ कर , न जाने कितने हाथ फ़िसले हैं !! मुँ ह काला करने की रवायतें पुरानी हैं , सफ़ेदपोशों की कोई ये शैतानी है ! बु रा न मानो थोड़ी ज़बरजस्ती करते हैं , बाज़ार गर्म है , इज़्जत सस्ती करते हैं !! घि स घिस के रंगी चेहरे सफ़ेद करते हैं , इस तरह लोग रातों को सुबह करते हैं ! अ पने मज़हब के हम यूँ ही यकीं हो गये , संज़ीदगी के अपनी ही शौकिं हो गये , आसमां अपने सारे जमीन हो गये दिल में डुबो हाथ , देखिये रंगीं हो गये हा थ रंगने को मिट्टी बहुत है , फिर भी लोग खून लाल करते हैं मौत कोई बीमारी नहीं है , काहे फ़िर मुर्ख इलाज़ करते हैं
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।