कभीकभार, सवाल, पूछिये, आइनों से, इंतज़ार करिये! कभी यूँ ही, कभीकभार, कभी हांसिल कभी दुश्वार! कभीकभार, एक आहट, एक ख़ामोशी, एक इंतज़ार कभीकभार! कभीकभार, रातदिन और दिनरात, वही ख्याल कभीकभार! कभीकभार, देखलीजे, गौर से, क्या सवाल? कभीकभार, एक सपना एक हकीकत कभीकभार! कभीकभार, सवाल एक, एक ही सवाल, कभीकभार! कभीकभार, रास्ते, एक सवाल, एक मोड़, कभीकभार! कभीकभार एक सवाल और हम कभीकभार! कभीकभार, हम और सफ़र, हमसफ़र, कभीकभार कभीकभार, हरदम, कभीकभार!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।