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राम के नाम के काम

मर्दानगी की दवा, नयी है हवा, प्रवीण है गवाह और उनका यकीं हिंदुओं में मर्दों की कमी, 500 रुपये में मर्द बनिए, माँ बहन की इज्ज़त का बजरंगी सरदर्द? अरे कड़वे सच सुन तबियत ख़राब हो गयी, चलिए हर मर्द....क्षमा कीजिए, हर मर्ज़ की दवा है, पतन_अंजलि, रामबाण इलाज़, सोचिये ! अब आपको राम भजने की जरुरत नहीं, अब राम खुद आपके पास हैं! कण कण में, साबुन शैम्पू में, आटा दाल, मैगी का भी रामकरण हो गया, बच्चे अब राम की शरण, बल्कि सारे जीव ही, कॉकरोच को भी मोक्ष है, दाने दाने पर खिलाने वाले का नाम, कपड़े कपडे पर राम पतन अंजलि कई दाग साफ़, कैसी ये हाथ की सफाई, सब योग का प्रकोप है, आपकी हर सांस में अनुलोम विलोम अब राम हैं, बिक रहे हैं या बेच रहे हैं? कौन है जो मतलबी रोटी सेंक रहे हैं? भुलाने का नहीं कोई काम, टीवी या अख़बार, इश्तेहार, इश्तेहार, चुकाना है आपको, बाबा के सन्यास का दाम, आम के आम गुठली के दाम, अब वो ही, राम के नाम आपको सरकार भी बेचेंगे, उल्लू बना आपके वोट खींचेंगे! बल्कि ये कहिये खींच लिया, कहिये रामराज्य का धंधा कैसा लगा?

जय जय श्री शंकर !

यमुना का किनारा, मजबूर बेचारा जहाँ न पहुँचे कवि, इतनी बदबूदार छवि, वहाँ पहुँचे शंकर, काँटा लगे न कंकर, इसलिये जेसीबी चलवा दिये धरा को धमका के समतल बना दिये प्याला धरम का पिया, थोड़ा सरकार को दिया, थोड़ा जज ने भी चखा,    अल्लाह के नाम पे दे दे बाबा जो दे उसका भला, वरना किसान जैसे फ़ंदे को गला, मैं गिर जाउंगा, उठ न पाउंगा जो तूने मुझे थाम न लिया, ओ सौ सेना का गरेबाँ पकड़ा और उन्हीं की पीठ पे चल दिया, एक के दो दो के चार मुझको क्यों लगते हैं, ऐसा ही होता है जब दो श्री मिलते हैं, उपर राम नीचे संघी घमासान, हो सौ रबड़ी, जलेबी घी की,   ओ संघी भैया, आओ आओ, ओ मेरी उमा, बड़े जतना से गयी भैंस पानी में रे कंधे पे, सर रख के, तुम मुझको खोने दो, अपनी है, सरकारें, जो चाहे होने दो, मीड़िया वालों को मुस्करा के कह दो तुम कितने नादान, कितने कच्चे, तुम्हारे कान, हो सौ खबरी,   दो दिन पहले, एनजीटी का, माल-या खुदा, कहाँ से लायेंगे, छोड़ो जी, ये सब तो, सरकार से ही दिलवाएंगे कुछ भी हो लेकिन मज़ा आ गया नरिंदर अरविंदर सब अपने जाल, राम के नाम शंकर का कमाल! अब देखिये जिंदगी की कला का ...