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ना-शाईस्ता इश्क!

होगा इशक आपको दिल फ़ेंक कर मत दीजे , जो भी इज़हार है आँखे सेंक कर मत दीजे घूर के आँखों से उपर नीचे तक नापते हैं ,  क्या घर जाकर अपने बिस्तर जाँचते हैं ? सीटी मार के क्या संदेश भेजते है इज़्ज़त है नहीं तो क्या बेचते हैं ? मर्द होने की ये कौन सी निशानी है , तंग पतलून और हाथों की परेशानी है ? शराफ़त से घर अंदर भाई - बाप - बेटे हैं , बाहर क्यों ललचाए शीला की जवानी है ? मर्द भेड़िया है पतली गली में और कुत्ता शेर बिना भोंके लपकता है ज़रा मनाओ खैर ! कलाई मोड़ कहे रांझना कि इज़हारे इश्क है , इन ना-शाईस्ता सच्चाईयों से बदनाम इश्क है ! मोहब्बत की निशानी ताज़महल आगरा है , झूठ ! आज - कल सुना है इसका नाम वाईग्रा है ! भीड़ में धक्का , पीछे से चुंटी , और हाथ की सफ़ाई , महामारी हिंदूस्तान की और नाम इसका मर्दाई ! (ना-शाईस्ता - Obscene)