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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

हमदिली की कश्मकश!

नफ़रत के साथ प्यार भी कर लेते हैं, यूं हर किसी को इंसान कर लेते हैं! गुस्सा सर चढ़ जाए तो कत्ल हैं आपका, पर दिल से गुजरे तो सबर कर लेते हैं! बारीकियों से ताल्लुक कुछ ऐसा है, न दिखती बात को नजर कर लेते हैं! हद से बढ़कर रम जाते हैं कुछ ऐसे, आपकी कोशिशों को असर कर लेते हैं! मानते हैं उस्तादी आपकी, हमारी, पर फिर क्यों खुद को कम कर लेते हैं? मायूसी बहुत है, दुनिया से, हालात से, चलिए फिर कोशिश बदल कर लेते हैं! एक हम है जो कोशिशों के काफ़िर हैं, एक वो जो इरादों में कसर कर लेते हैं! मुश्किल बड़ी हो तो सर कर लेते हैं, छोटी छोटी बातें कहर कर लेते हैं! थक गए हैं हम(सफर) से, मजबूरी में साथ खुद का दे, सबर कर लेते हैं!

मैंटर - एक परिभाषा

 

विजय है, वज़ह है!

मुसाफ़िर भी हैं, अपना ही सामान भी, रास्ता भी हैं आप, रास्तों की जान भी!! कितने बुलंद हैं आपके साथ फलकर, दुआ क़बूल हैं आपके साथ चलकर! सदा भी है, अदा भी है, नज़ाकत भी, काम की चीज़ है आपकी बग़ावत भी! कितने हुनर हैं जो आप के क़ाबिल हैं, हौंसला हैं आप हमारा और हासिल भी! ख़ुद से हैं आपको अपनी शिकायतें,  उस्तादी की ये बेहतर रवायतें हैं!! इरादे कम नहीं, इरादों के गम जरूर  कितना कुछ करने को चलना है दूर! खामियाँ सब अकेली पड़ जाती हैं, आपकी खूबियां उनको शरमाती नहीं!! जात-पात, बुरी बात, कदम कदम पर घात, आपसे क्या बोले कोई मुश्किलों की बात? तहज़ीब और रवायतें कुलजमा साज़िश हैं, आपके जज़्बे से कदम कदम वो खारिज़ हैं! अब भी कहाँ आपकी मुश्किलें आसान हैं, कायम रहे आपके चेहरे जो मुस्कान है!  #आमीन (विजय कई सालों से हमारे साथी हैं, उनके साथ काम कर के, उनके दो दशक से ज्यादा के काम की बातें सुनकर, और उनके सीखने और सिखाने के जज़्बे को सलाम है)‌ जय भीम विजय भाई!

@46

हर सूरत खूबसुरत है, जज़्बा है. जो सीरत है ! हर कदम आपके साथ है, हर साथ को सौगात है! कहने को कई सारी बात है, पूछिए आप, फ़िर बात है! सोच दूर तक जाती है, पैरों को जो माती है ! कोई डर नहीं है डरने में, जो है सो है, करने में! काम, कोई, आसान नहीं है, मुश्किल है पर आसमान नहीं है! देश धर्म जात सब बकवास है ख़ालिस  इंसानियत की प्यास है! जज़्बाती भी हैं और ज़ाहिर भी, और अपनेपन में माहिर भी! हर करवट, हर आहट शोर है, नींद को अपनी खासी कमजोर हैं! प्यासे हैं यूँ कर पिलाते हैं, कोई तारे तोड़ने नहीं जाते!

डेफ़िनेशन-ए- स्वाति !

स्वाति  एक  हसीन ज्वालामुखी अंदर  पिघला हुआ,  बाहर  ठोस, मजबूत नर्म  भी गरम भी  बे और शरम भी! स्वाति साथ   ख़ालिस  सौ फ़ीसदी  जब आपके पास हैं, तो आपके पास ही, आपही ख़ास भी, आपही रास भी ! स्वाति जज़्बात   हूँ! क्या कहिए ! एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है, एक समंदर है, तर के, तैर के  साहिल को साथ लिए! स्वाति सौगात   ये पूछने की क्या बात? जानो, बूझो, समझो! अगर ख़याल है  फिर क्या सवाल है ? चकित करो! इंतज़ार क्यों? "रसिकपण च . . . .नाही" स्वाति शेफ़ जो है वही, सही! मुमकिन रवैया  परिभाषाओं के परे  नींबू, इमली, आम,  एक साथ कई काम,  गुठली के दाम,  आज़ादी का नाम  कॉफी की लहक,  चॉकलेट की चहक,  अहा! क्या महक ! और एक जाम बस, ज़रा बहक ! स्वाति मुलाक़ात   हाँ, ज़रा ठहरिए, अभी व्यस्त हैं, खुद से मिलने में,  और आप कौन? चलिए पहचान बनाऐं, ...... ...... पर! उसके लिए मिलना होगा! ज़रा ठहरिए! "अज्ञात...