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कोरोनोलॉजी!

पहले क्या और बाद में क्या ये सच जान, इसको कहते क्रोनोलॉजी तड़ीपार ये ज्ञान! हस्पताल बुरे हाल में, नर्स डॉक्टर परेशान, आँख पे पर्दा डालने देते ताली/थाली ज्ञान! माथे पड़ती शिकन तो करोनॉलॉजी जान, डॉक्टर को थेँकु पहले और उस पे विज्ञान! पड़े लिखे बहक जाएं सुन के बात विज्ञानी, बिना सवाल मत मानो मूरख कब जानी? करत करत थाली को चोट, बापर होत निसान, अकल बड़ी के भैंस जा दे कोउ तुमको ज्ञान!! का दे कोउ गान, जो तुम कानन के कच्चे? लगे बघारन ज्ञान पड़ व्हाट्स के चिट्ठे!! व्हाट्सएप के गियान से अच्छे अच्छे घबराएं! न्यूटन, आइंस्टीन सुना कबर में लोट लगाएं!! कबर खुदी है ज्ञान की, अर्थी पर विज्ञान, सब शास्त्रन में लिखा है जो बोले सो मान! 

हकीकत की माया!

वो इंसान ही क्या जो इंसान न हो? वो भगवान ही क्या जिसका नाम लेते जुबां से लहुँ टपके? वो मज़हब ही क्या जो इंसानो के बीच फरक कर दे? वो इबादत कैसी जो किसी का रास्ता रोके? वो अक़ीदत क्या जो डर की जमीं से उपजी है? वो बंदगी क्या जो आँखे न खोल दे? वो शहादत क्या जो सिर्फ किसी का फरमान है? वो कुर्बानी क्या जो किसी के लिए की जाए? वो वकालत कैसी, जो ख़ुद ही फैसला कर ले? वो तक़रीर क्या जो तय रस्ते चले? वो तहरीर क्या जिससे आसमाँ न हिले? वो तालीम क्या जो इंक़लाब न सिखाये? वो उस्ताद क्या जो सवाली न बनाये? वो आज़ादी क्या जिसकी कोई जात हो? वो तहज़ीब क्या जिसमें लड़की श्राप हो? वो रौशनी क्या जो अंधेरो को घर न दे? वो हिम्मत क्या जो महज़ आप की राय है? वो ममता क्या जो मजहबी गाय है, बच्ची को ब्याहे है? वो मौका क्या जो कीमत वसूले? …… फिर भी सुना है, सब है, इंसान, भगवान्, मज़हब, इबादत, क्या मंशा और कब की आदत! अक़ीदत और बंदगी, तमाम मज़हबी गंदगी! शहादत ओ कुर्बानी, ज़ाती पसंद कहानी! वक़ालत, तहरीर, तक़रीर, झूठ के बाज़ार, खरीदोफरीद! तालीम और उस्ताद, आबाद बर्बाद! आज़ाद...