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रिफ़्यूज़ी!

समंदर और साथ सफ़र, लहर साहिल मुक़म्मल, अधूरे किनारे, हर लम्हा बदलते, रुके हैं पर खत्म होने को... लहरें बहती हुई, पर कहाँ जाने को? और साथ, मुसाफ़िर, बिछड़े, भटके, अधर में अटके, न छत सर है, न लम्हे असर हैं, रास्तों को खुद नहीं पता, वो कहाँ जाएंगे, कैसे कहें उनको के ज़िन्दगी सफर है, बेबसी रहगुज़र है?