कमजोर मरद डरपोक मर्द करवाचौथ आखिर क्यों कर?? औरत भूखी मरद अमर, तंग सोच, बेशर्म बेदर्द! मर्द का डर, औरत किधर? मर्ज़ी किसकी, क्या जोर-जबर! ! लम्बी उम्र की दुआ, औरत एक जुआँ, बिछा रखा है बिसात पर, तो क्या हुआ? लंबी उम्र की भूख है हवस है, परंपरा है कहाँ कोई बहस है? औरत की औसत उम्र मर्द से कम है, मर्द के लिए व्रत रखती है क्या दम है? ये कैसी मरदानगी की करवा (ते) चौथ है, पल्लू में छिपते हैं डर है कहीं मौत है? परंपरा की दादागिरी और समाज की गुंडागर्दी, और ऊपर से ये ताना के जैसी तुम्हारी मर्ज़ी! तरह तरह से औरत की मौत है, उनमें से एक नाम करवाचौथ है! मर्द जंज़ीर है, औरत शरीर है, परंपरा सारी मर्द की शमशीर है! घर में बेटी, बहू, मां, पत्नी, बहन, घर के बाहर, शराफ़त पर बैन? क्या सिर्फ लंबी उम्र चाहिए? या पैर औरत का सर चाहिए?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।