पत्थर और बंदूक की बातचीत पत्थर - (खामोश) बंदूक - (तड़, तड़, तड़....) पत्थर - ...... बंदूक - हम कानून हैं? पत्थर - हम मासूम हैं! बंदूक - तड़ तड़ तड़ पत्थर - हम ज़ज़्बा हैं! बंदूक - हम कब्ज़ा हैं!! पत्थर - क्यों, क्या, कैसे? बंदूक - तड़ तड़ तड़ पत्थर - अब हम चुप नहीं रहेंगे! बंदूक - हा हा हा....तड़ तड़ तड़ बंदूक - हम इंसाफ हैं पत्थर - इसलिए तुम्हें हर खून माफ़ है? बंदूक - ख़बरदार पत्थर - मौत से? या ज़िन्दगी से? पत्थर - आज़ादी बंदूक - घुटने टेको...तड़ तड़ तड़ बंदूक - तुम आतंकवादी पत्थर - ज़मीं है हमारी! पत्थर - क्यों बलात्कार? बंदूक - हमारे सच, हमारी सरकार पत्थर - दो ही मौसम हैं यहां , बंद और न बंद! बंदूक - ज़मीन सुंदर है, और लोग टाट-पैबंद पत्थर - हमारी चीखें हैं , बंदूक - पैलेट आपका मरहम पत्थर - चुप नहीं करा सकते! बंदूक - "आतंकी है" तड़ तड़ तड़ पत्थर - फेक एनकाउंटर बंदूक - हमारा तंत्र, सच हमारा पत्थर - कश्मीर हमारा है! बंदूक - जिसकी ताकत उसकी जमीं(लाठी की भैंस) पत्थर - कश्मीर...
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।