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नफ़रत के प्रकार !

नफ़रत का शिकार आप तब हैं जब आप भी नफ़रत करने लगें आप नफ़रत का शिकार हुए हैं? या नफ़रत के तलबगार हुए हैं? अगर आप भीड़ का हिस्सा बने तो सोचिए आपकी नफरत का माली कौन है? गुनाह हुए हैं तमाम आपके साथ, क्या आप किसी गुनाह के हथियार हुए हैं? चुप रहने से घुटन होती है, खुल कर हम कभी अपनी हैवानियत की बात नहीं करते। ज़ख्म ठीक भी हुए दर्द नहीं जाता, क्या आप बात करने को तैयार हुए हैं? धर्म और नीति राज बन कर आपको नफरती भक्त तो नहीं बना रही? नफ़रतों के दौर की कोई बात न करें, बस कहने को हम होशियार हुए हैं! कत्ल हुए मासूम किस वहशियत से, किस  हिदायत से इतने लाचार हुए हैं? धर्मगुरु भी हैं और राजनेता भी, जिम्मेदारी कोई क्यों नहीं लेता? मज़हब कम पड़े या इंसान सरचढे? जवाबदेही को सब बेकार हुए हैं!! अल्पसंख्यक क्यों हमेशा शिकार बनते हैं? जो कम है उसी को कमजोर करते हैं, उस्तरों के कैसे ये बाज़ार हुए हैं? बचपन हिंसा का शिकार हो तो उसका क्या असर होता है? बचपन के साथ कहाँ वक्त कुछ मिला, कौन से हैं खेल जो इंकार हुए हैं? हिंसा और नफरत हमें चोट ...

कश्मीर, कश्मीरियत और खामोश सवाल!

कश्मीर, मुस्कराते लोग, हँसते बच्चे, बर्फीले पहाड़, पाक-साफ़ पानी इन्तहां खूबसूरत! कश्मीरियत, जज़्बा         इरादा,         हाथ में हाथ, मुश्किल में साथ, दर्द में डूबे हालात, मुस्कराते हमसे बात, एक सवाल सिर्फ, "आप ही बताएं..." हम क्या बताएं?     

क्या खेल खेलें कश्मीर के बच्चे?

आज बहुत मजबूर हूँ, कश्मीर से बहुत दूर हूँ, जैसे पेड़ खजूर हूँ, याद आ रहे हैं वो दिन, वो लोग जो इंसान थे, हमारी तरह, तुम्हारी तरह एक उम्दा मेज़बान की तरह, साथ हंसते थे, हम परेशान न हो, इसके लिए परेशां रहते थे, जब उनके साथ "खेल से मेल" किया, तो सब वैसे ही हँसे जोर जोर से, जैसे लोग बनारस में हँसे थे, या कंदमाल में, दिल्ली में, पुणे में, जुबा में, येंगॉन में पर उसके बाद जो बात हुई, तब उनके दर्द से मुलाक़ात हुई, "हमारा बचपन अँधेरे को बली था" अब हम अपने बच्चों को हंसाएंगे, वो हमारे शुक्रगुजार हुए, और हम, अपनी नज़रों में ज़रा कम गुनाहगार हुए, कश्मीर भारत को खूबसूरत है, और सारे देशभक्त, उसको कोठे पर बिठाना चाहते हैं, एक जगह है सबके लिए, जहां से डॉलर्स आते हैं, पाउंड, यूरो, और रूपये भी, कौन छोड़ता है ऐसे माल को, हर साल जो नयी हो जाती है, वर्जिन तैयार नथ उतरवाने को, कौन देखता हैं कि वहां इंसान हैं, उनके दिल हैं, उनकी जान है, उनके बच्चे हैं जो सरकार की गोली कुर्बान हैं! सफर ज़ारी था, आने जाने में, कश्मीरी दोस्त हमको लगे जगहों के बारे बताने...