कौन हैं ये लोग, चौड़ी तेज़ रफ़्तार सड़कों के फुटपाथ पर, चैन की नींद सोए है? या ज़िंदगी के खोए हैं? देश-समाज की तरक्क़ी से बिछड़े हुए, इंसानियत की परछाई में अनदिखे? क्या इनका कोई आधार है? या इनकी कोई भी बात निराधार है? संसाधन कम नहीं है, कमीं है!! सवालों की, नीयत की, इरादों की, पूरे होते वादों की! आप में है? अपनी जी-तोड़ मेहनत के लाचार, कड़वे सच को सब्र से मीठा करने, सपने देख रहे हैं, मुँह ढक सपनी हक़ीकत को fake रहे हैं! वो सुबह कभी तो आएगी... चौकिदार कौन है ओ चौकीदारी किसकी? चुपचाप खड़ें है, जो मुँह ढके पड़े हैं? बोल नहीं सकते या आवाज़ नहीं है? मजबूरी है, क्या, मंजूरी है? आपकी? मच्छरदानी घर है! उनका? सोचिए! उनको क्या शहर है? फुटपाथ उनकी बस्ती, गली उनका हाइवे, कूड़ादान सुपरमार्केट! इनका देश क्या होगा? वही जो आपका है? और इनकी देशभक्ति? गुस्सा निगल जाना? #ThinkBeforeYouVote
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।