आग के समंदर है बाहर हैं अंदर हैं, अपने ही सच के राख हुए जाते हैं! नज़दीक से देखी खुद की खुदगर्ज़ी, अपने ही आइनों के ख़ाक हुए जाते हैं! मौत के सामने अंजाम की परवा करें? चलो आज सब बेबाक हुए जाते हैं! ऊंच-नीच, कम-ज्यादा, बड़ा ओ बेहतर, अपनी लकीरों के सब चाक हुए जाते हैं! फेसबुक, इंस्टा, ट्विटर पर सारे नुस्खे, हकीम सारे फ़कत अल्फ़ाज़ हुए जाते हैं! अपनी ही सरकार की सब बदसलूकी है, अब तो कहिए नासाज़ हुए जाते हैं? हाँ तो हाँ, न तो न, यही रट लगी है, किसकी कमजोरी के ताज हुए जाते हैं? सवाल पूछना गद्दारी का सबब है, गुनाह सरकार के राज हुए जाते हैं! सारी कमियों की तोहमत तारीख़ पर, कितने कमज़ोर हम आज हुए जाते हैं? परेशां नहीं करती आज की सच्चाईयाँ? आप क्यों इतने नज़रअंदाज़ हुए जाते हैं? बरबाद हो रहे हैं कितने नेक इरादे कातिल उनके आबाद हुए जाते हैं?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।