सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

social media लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बनते बिगड़ते

आग के समंदर है बाहर हैं अंदर हैं, अपने ही सच के राख हुए जाते हैं! नज़दीक से देखी खुद की खुदगर्ज़ी, अपने ही आइनों के ख़ाक हुए जाते हैं! मौत के सामने अंजाम की परवा करें? चलो आज सब बेबाक हुए जाते हैं! ऊंच-नीच, कम-ज्यादा, बड़ा ओ बेहतर, अपनी लकीरों के सब चाक हुए जाते हैं! फेसबुक, इंस्टा, ट्विटर पर सारे नुस्खे, हकीम सारे फ़कत अल्फ़ाज़ हुए जाते हैं! अपनी ही सरकार की सब बदसलूकी है, अब तो कहिए नासाज़ हुए जाते हैं? हाँ तो हाँ, न तो न, यही रट लगी है, किसकी कमजोरी के ताज हुए जाते हैं? सवाल पूछना गद्दारी का सबब है, गुनाह सरकार के राज हुए जाते हैं! सारी कमियों की तोहमत तारीख़ पर, कितने कमज़ोर हम आज हुए जाते हैं? परेशां नहीं करती आज की सच्चाईयाँ? आप क्यों इतने नज़रअंदाज़ हुए जाते हैं?  बरबाद हो रहे हैं कितने नेक इरादे कातिल उनके आबाद हुए जाते हैं?

क्या बात करें?

कोई भी आह दिल तक पहुंच जाए कैसे वो हालात करें, सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! वो दौड़ ही क्यों जिसमें सब पराये हैं, तेज़ रफ़्तार दुनिया और बहुत दूर एक दूसरे से आये हैं, चाल बदलें अपनी और नयी रफ़्तार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! बच्चों के हाथ क्यों हाथ से फ़िसलते हैं, जदीद* तकनीक है के मशीनों से संभलते हैं (*आधुनिक) बचपन से बात हो ऐसे कोई व्यवहार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! अगर सोच है अलग तो आप पराए हैं, रिश्तों को सब नए मायने आए हैं,  ख़बर दुनिया की ज़हर जिगर के पार करे! .....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! चल रहे हैं मीलों और अब भी बहुत दूर हैं, आप कहते हैं घर बैठे सो मजबूर हैं, कैसे दर्द मजलूमों के हमको चारागर* करें! (*Healer) ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! क़यामत है दौर और कोई नाखुदा* नहीं, (नाविक) मजबूत कदम हों खोखली दुआ नहीं वो आवाज़ जो सुकून दे, जिसका ऐतबार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें!