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मेरा प्यार बेशु_मार!

प्यार इतना हद से ज्यादा  की हाथ उठ गया, वो रोई, मैं रोया मसला मिट गया! प्यार इतना हद से ज्यादा उसको मुस्कराते देख किसी और को हाथ उठ गया मैंने फिर खुद को भी मारा मैं ही बेचारा! प्यार इतना हद से ज्यादा वो मेरी है हमेशा रहेगी,  मेरी बात नहीं मानी तो  हाथ उठ गया मेरा प्यार मैं लाचार अब नहीं दोबारा! प्यार इतना हद से ज्यादा दिन-रात, चार पहर प्यार के लिए तुम थक गईं? मुझको नहीं गंवारा, इसलिए हाथ उठ गया, मेरा व्यवहार मेरा प्यार, हर बार लगातार! प्यार इतना हद से ज्यादा तुम ही मेरी सब कुछ मैं भी तुम्हारा दाता, हमारी पसंद एक है, तुमने सवाल पूछ डाला? फिर हाथ उठ गया, मेरी मर्ज़ी, मेरा प्यार, और कुछ भी ख़बरदार! प्यार इतना हद से ज्यादा मेरा सब कुछ तुम्हारा खुशी, दुख, डर, गुस्सा इसमें भी तुम्हारा हिस्सा था गुस्सा उस से, किसी पर, सो हाथ उठ गया मेरा गुस्सा, मेरा प्यार करो स्वीकार! प्यार इतना हद से ज्यादा थप्पड, घुंसा, बेल्ट, ड़ंडा, सुलगती आग,  उस पल जो आए हाथ नहीं तो फिर...

मैं प्रिविलेज!

  मैं धर्म और जात हूँ, सरकारी हालात हूँ, मेहनत का मज़ाक हूँ, मक्खन मलाई औकात हूँ! मुझे क्या फर्क पड़ेगा, तबरेज़ की रामहत्या से पायल के जातमत्या से मैं मिडिल क्लास हूँ!! मैं शहर हूँ, अपार्टमेंट घर हूँ, आरओ से तर हूँ, बस्ती से बेख़बर हूँ! स्लमबाई काम करती है, माफ़िया टैंकर पानी भरती है, मैं क्यों अपना हाथ लगाऊं, कचरा गीला सूखा बनाऊं? बस ट्रेन में ए.सी. हूँ, बाज़ार में निवेशी हूँ, मर्ज़ी जो परिवेशी हूँ, क्रेडिट कार्ड का ऐशी हूँ! मर्द मर्ज़ी मूत्र हूँ, पितृसत्ता पुर्त हूँ बाप, भाई, पति ताकत का सूत्र हूँ! जात में "नीच" नहीं, औकात में बीच हूँ, मर्द बीज हूँ त्योहार तीज हूँ! मैं हिंदी भाषी हूँ, मतलब खासमख़ासी हूँ, बहुमत की बदमाशी हूँ, जन्मसिद्ध देशवासी हूँ!

मर्द नज़र!

एक बदन हैं बस, दो स्तन हैं बस, रास्ते पड़े हैं बस आपके भरोसे हैं बस! ज़रा आंख फेर लो ज़रा हाथ फेर लो ज़रा अकेले में घेर लो, ज़रा नोच-खसोट लो! कुछ ज्यादा ही नखरे हैं, कुछ ज्यादा ही मुकरे है, कुछ ज्यादा ही हंसती है, आख़िर क्या इनकी हस्ती है? "न" कहा तो हाँ है, कुछ न कहा तो हाँ है, जो भी कहा वो हाँ है, "न"का हक कहाँ है? बेवज़ह हंसी होगी इसलिए, कपड़े कम है इसलिए, अकेले निकली है इसलिए, ये शोर इतना किसलिए? बहुत पर निकल आए हैं, बहुत कमर मटकाए है, बहुत आगे ये जाए है, कोई तो सबक सिखाए है!! कुछ तो किया होगा? बिन चिंगारी धुआँ होगा? मर्द से कंट्रोल न हुआ होगा? इज़्जत गई अब क्या होगा? घर बिठा के रखिए, अंगूठे नीचे दबा रखिए, पहले अपनी जगह रखिए, चाहे कोई वज़ह रखिए ! ये मर्द नज़र है, यही नज़रिया भी, ज़ोर लगाना है ताकत का, बस यही एक ज़रिया भी (एक नज़दीकी के साथ ट्रेन में जब वो सो रहीं थी एक मर्द ने छेड़खानी की, गलत तरीके से छुआ, अपने शरीर के अंगों को प्रदर्शन किया! ये कोई खास बात नहीं है, आम बात है।पर उसके बाद क्या हुआ अक्सर नहीं होता।...

हमारे विकल्प

बहुत विवाद है? मुश्किल में हैं? चिंता, शंका आपके दिल में है? जिनको बोलना चाहिए  वो चूहे से बिल में हैं! किसकी सुनें, किसकी मानें, लाठी अपनी किस पर ठानें? काहे के मर्द, कैसे मूछें तानें? बतलाए कोई, क्या करें बहाने? चिंता न करें आपके पास कई विकल्प हैं! चुनिए! विवेक से गुनिए, अंधभक्त सा न बनिए!  (a) मंदिर रेप करने के लिए हैं  (इतिहास गवाह है, देवदासियों की कसम) (b) मंदिर में भगवान नहीं होते (बाउंसर होते हैं जिनको पूजारी कहते) (c) रेप में भगवान शामिल थे  (आप लेफ्टिस्ट, देशद्रोही, हिंदू विरोधी हैं, जान बचानी है तो भागिए) (d) पूजापाठ से रेप का अपराध माफ़ होता है  (ये विकल्प चुनने से आप को "योगिश्री की उपाधी मिलेगी) (e) रेप हुआ ही नहीं  (ये ऑप्शन चुनने पर बीजेपी की आजीवन सदस्यता मुफ्त) (f) लड़की मुसलमान थी  (इस ऑप्शन के साथ आपको बीजेपी, आरएसएस, विहिप की सदस्यता मुफ्त) (g) भारत माता की जय   ( ये ऑप्शन अगर आपने चूना तो मर्दानगी का इलाज कराने के लिए हकीम साहनी से मिलें, पता - लखनऊ स्टेशन के रास्ते ...

हम साथ साथ हैं!

सुना है  भगवान का बलात्कार हो गया , कहने को दो मर्द थे , बेरहम , बेदर्द थे , भगवान ? हाँ जी , आप ही तो कहते हैं बच्चे भगवान का रुप हैं ,  किससे कहते अब तो भगवान बचाये ? पर सच समझना है तो , सच्चाई जानना होगी , दो मर्द दुकेले कैसे भगवान का रेप करेंगे ? सुसाईड़ मिशन तो था नहीं , वरना बात एक हफ़्ते दफ़न नहीं होती , सच्चाई ये है कि वो अकेले नहीं थे , वो उस समय अपनी जात , जी हाँ , जात जता रहे थे , " मर्द जात " बदजात ! बलात्कार एक हथियार है , उसको बनाने वाले , चलाने वाले , सब मर्द , बलात्कार कोई अकेले नहीं करता , करते वक्त उनके साथ , होती है एक संस्कॄति , चीरहरण की , इतिहास , जंग का , दंगों का , बेगुनाह छूटे साथियों का , हमारी याद , जो केवल अगली बड़ी खबर तक जिंदा है ,  तो अगर आप दोष दे रहे हैं , एक - दो मर्द को , और मांग रहे हैं , उनको सज़ा - ए - मौत तो आप केवल बचने की कोशिश कर रहे हैं ,  सज़ा आप को भी बनती है , हम सब को ,...

नापाक मोहब्बत

ढाई आखर रट - रट के सबको दिये बताये , लिये एसिड़ घुमत है चेहरा कोई मिल जाये! लगे लूटने इज्जत इतनी कम पड़ती है , मर्दों की दुनिया की ये कैसी गिनती है ? कम कपड़े थे , इज्जत कम थी फ़िर भी लुटे बड़े भिखारी मर्द , प्राण कब इनसे छूटे? हाय सबल पुरुष तेरा इतना ही किस्सा , आँखों में है हवस और हाथों में हिंसा? हाय अबला नारी तेरी यही कहानी , फ़िल्मों में पैसा वसूल है तेरी जवानी! घर में ही आईटम बन के रहना , बाहर भुगतना है मर्दों की नादानी ! लातों के भूत बातों से नहीं मानते , परिभाषा है मर्द की , जो नहीं जानते! नहीं चलती कहीं तो औरत का शिकार है ,  मर्द होना बड़ा फ़ायदे का व्यापार है! कमज़ोरी मर्द की औरत के गले फ़ंदा है, आदमी कौन सी सदी का भुखा नंगा है !

प्यारे सवाल!

मुसाफ़िर अपने सफ़र पे निकल जाते हैं ,   काहे पुराना नाम - सामान लिये जाते हैं।। रास्ते जिंदगी के कभी खत्म नहीं होते , जो प्यार करते हैं उऩ्हें जख्म नहीं होते !! सब अपने रस्ते हैं मर्ज़ी के मोड़ गये , आप खामख़ां सोचते हैं छोड़ गये ! टुटे हुए वादों को क्यों संभाल रखते हैं ,  भूल गये शायद के नेक इरादे रखते हैं ! जब तक रास्ता एक है हमसफ़र है , पर अकेले है तो क्या कम सफ़र है ? मोहब्बत एक तरफ़ा रही तो क्यों परेशान है , चार दिन की लाईफ़ है , और सब मेहमान हैं ! मोहब्ब्त के बड़े सीधे - सच्चे कायदे हैं , दुकान खोल लीज़े जो नज़र में फ़ायदे हैं ! वक्त बदला , ईरादे बदले , अब आगे बड़े हैं , एक जगह आप अड़े हैं तो चिकने घड़े हैं , ये फ़रीब - ए - नज़र है या अना का असर है , आप ही वजह हैं और आप ही कसर हैं ! (टुटे दिलों और फ़रेबी मुश्किलों की देवदासिय आदतों की दास्तानों से उपजी)