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हमारी दुनिया_दारी, दुकानदारी!

हमारी  दुनिया, हमारे लोग हमारा घर हमारा परिवार हमारे साथी हमारा समुदाय हमारी दुनिया मेरा घर   तुम्हारा घर मेरे लोग तुम्हारे लोग मेरा परिवार तुम्हारा परिवार मेरे साथी तुम्हारे साथी मेरे बच्चे तुम्हारे बच्चे मेरी औरतें तुम्हारी औरतें मेरी इज्जत तुम्हारी इज्जत मेरा समुदाय तुम्हारा समुदाय मेरी ताकत तुम्हारी कमजोरी तुम्हारी ताकत मेरी कमजोरी मेरी बंदूक तुम्हारी बंदूक मेरी लड़ाई मेरी जीत तुम्हारी हार मेरी जीत   तुम्हारी जीत मेरी हार   तुम्हारा नुकसान मेरा फायदा मेरा नुकसान तुम्हारा फायदा तुम्हारी बर्बादी, मेरी ...? मेरी जीत? मेरी जीत मेरी हार! बिखरा समुदाय टूटे घर भूखे पेट अनाथ बच्चे कैसा परिवार ? मैं बर्बाद तुम बर्बाद कौन आबाद ? मेरी लड़ाई तुम्हारी लड़ाई किसकी कमाई ? मेरा पैसा तुम्हारा पैसा किसके पास ? मेरी भूख तुम्हारी भूख मेरे दर्द तुम्हारे दर्द मैं चुप तुम खामोश खामोशी में हम हमारे सच हमारी ज़िंदगी हमारा परिवार हमारे बच्चे   हमारी दुनिया !

हम तुम

गुम हैं, कभी खुद में, कभी तुम में, कभी हम में, हम हैं, कभी साथ, कभी अकेले, कभी साथ अकेले, तुम हो, कभी साथ, कभी अकेले, कभी तुम, प्यार है,         इश्क भी,           और मोहब्बत इक़रार भी,    कभी अश्क़,        कभी बंदगी तक़रार भी,    कभी रश्क़।        कभी बगावत सरसवार भी,  कभी फ़रहत       दिलअज़ीज़ आदत                            (bliss) गम हैं, ख़ुशी भी, शिकायत भी, शरारत भी ज़ख्म हैं, दवा है, दर्द भी, और दुआ भी नज़दीकी, कभी रूमानी, कभी रूहानी, कभी बेमानी हामी, कभी इनकार, कभी तक़रार, कभी इसरार मानी, कभी मनमानी, कभी बेमानी, कभी नानी😊 दूरी, कभी खुद से, कभी तुमसे, कभी अनबन से रास्ते कभी अपने कभी सपने कभी चखने मोड़, कभी बहकाते कभी बहलाते कभी संभलाते दोनों की अलग फ़ितरत, हर आदत, साथ क़यामत दोनों की एक सोच, साथ की दुनिया हालात की तमाम ताल्लुक़ात की ...

तू हसीं मैं यकीं!

तू हसीं हैं मैं यकीं हूँ, तू ज़मीं है मैं ज़मीं हूँ, ज़रा सा तू, ज़रा सा मैं, इस फलक की ज़र कमी हैं, हमकदम भी, हमनशीं भी, रास्तों के नशेमन लिए, हमनज़र भी, हमसफ़र भी तू असर है, मैं कसर हूँ,  तू खबर ओ मैं ख़ामोशी, मेरे शोर की तू सरगोशी, तू मय भी ओ मयखाना, मैं साकी ओ मैं पैमाना, नाप रहे है अरसों से, एक दूजे को हम रोज़ाना,  पुरे नहीं पड़ते कभी भी, खर्च हुए पर बिन हर्जाना, ज़िक्र आया तो कह देते है, लाखों अफ़साने क्या क्या फ़रमाना, मिल जाएँ गर किसी मोड़ तो, मत कहना की न पहचना!

ज़रा

ज़रा सा उनका मुस्कराना है ज़रा सा हमको पास जाना है ज़रा सी भूल हमसे हो ज़रा सा उनको भूल जाना है! ज़रा सी सख्तियाँ उनकी ज़रा सी नाज़ुक मिज़ाजी, ज़रा से बेशरमियाँ मेरी, ज़रा सी हाज़िर-जवाबी ज़रा से रास्ते दिल के ज़रा सा साथ में चल के ज़रा सी उम्मीदें उनकी ज़रा सी मेरी जिद्दें हैं,  ज़रा सी आवारगी में हम, ज़रा से उनके नखरे हैं, ज़रा है साथ ये हरदम,  ज़रा से फ़िर भी बिखरे है ज़रा से अजनबी हम हैं, ज़रा सो वो हैं पहचाने ज़रा सा दूर से देखें ज़रा करीब कब आएं! ज़रा से हम उनके हैं, जरा से वो हमारे हैं, ज़रा सा बह रहे हैं वो ज़रा सा हम किनारे हैं  ज़रा से ज़ख्म उनके भी ज़रा से दर्द हमारे हैं ज़रा सा इश्क ये ऐसा ज़रा से हम बेचारे हैं ज़रा सा मौसम बेइमान ज़रा सी सफ़र कि थकान ज़रा सा हाथ कंधों पे ज़रा सा काम यूँ आसान

तुम भी न!

मुझको मेरे बारे में बतलाते हो, अब मैं क्या बतलाऊँ, तुम भी ना, कम सुनता हूँ ये बड़ी शिकायत है, फिर भी कितना कह देती हो, तुम भी न, इतने सवाल कहाँ से आ जाते हैं, यूँ तो रग-रग से वाकिफ़ हो, तुम भी न, उम्र हो गयी साथ सफ़र, जो जारी है, फिर भी तनहा हो जाती हो तुम भी न गुस्से से, कभी हार और और कभी प्यार से, अच्छा लगता है पास आती हो, तुम भी न, क्या जिस्मानी, क्या रूमानी या रूहानी, तुम फिर भी तुम ही रहती हो, तुम भी न, पूरी दुनिया अपनी है हर एक इंसाँ, फिर सामने तुम आती हो, तुम भी न! फितरत सब की पकड़ने की फितरत ये, मेरी बात मुझे कहती हो, तुम भी न मौसम बदला, बदलेंगे मिज़ाज़ भी, कम ज्यादा होंगे हम, तुम भी न

मैं और तुम

मैं क्या महसूस कर रहा हूँ  ये महसूस करने की कोशिश सोच रहा हूँ मगर कोई ख्याल नहीं करता तो हूँ बहुत कुछ पर तेरे सवाल नहीं वक़्त वापस नहीं आता कुछ शुरू, कुछ खत्म नहीं होता उस दर्द का क्या करें जिसका जख्म नहीं होता न उम्मीद टूटी है  न एहसास छूटा है न कोई दूरी है फिर भी हर पल       लम्हों की प्यास है मैं तो मुस्कराता रहता हूँ फिर क्या है जो उदास है खाली प्याले...अधूरे निवाले...बिस्तर की सिलवट...  मैं और तुम सच कोई परिभाषा नहीं कोई अतीत नहीं न कोई कोशिश कुछ होने की करने की मैं और तुम सोच से परे गहरे समय से मुक्त मैं कहीं खत्म तुम कहाँ शुरू इंतज़ार अधूरेपन की सम्पूर्णता मैं कहाँ शुरू तुम कहाँ खत्म इस क्षण इस पल सच विचारमुक्त मैं और तुम