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बनते बिगड़ते

आग के समंदर है बाहर हैं अंदर हैं, अपने ही सच के राख हुए जाते हैं! नज़दीक से देखी खुद की खुदगर्ज़ी, अपने ही आइनों के ख़ाक हुए जाते हैं! मौत के सामने अंजाम की परवा करें? चलो आज सब बेबाक हुए जाते हैं! ऊंच-नीच, कम-ज्यादा, बड़ा ओ बेहतर, अपनी लकीरों के सब चाक हुए जाते हैं! फेसबुक, इंस्टा, ट्विटर पर सारे नुस्खे, हकीम सारे फ़कत अल्फ़ाज़ हुए जाते हैं! अपनी ही सरकार की सब बदसलूकी है, अब तो कहिए नासाज़ हुए जाते हैं? हाँ तो हाँ, न तो न, यही रट लगी है, किसकी कमजोरी के ताज हुए जाते हैं? सवाल पूछना गद्दारी का सबब है, गुनाह सरकार के राज हुए जाते हैं! सारी कमियों की तोहमत तारीख़ पर, कितने कमज़ोर हम आज हुए जाते हैं? परेशां नहीं करती आज की सच्चाईयाँ? आप क्यों इतने नज़रअंदाज़ हुए जाते हैं?  बरबाद हो रहे हैं कितने नेक इरादे कातिल उनके आबाद हुए जाते हैं?

सुमित सुमीत!

कथनी से करनी बड़ी, कहे दास कबीर, यूँ प्यार से नफ़रत जीते वो ही सच्चे वीर! वो ही सच्चे वीर कि जो दर्द हो जाएं, आँसू जिनके चोट का मलहम बन जाएं! बने चोट का मलहम चलो ये रीत चलाएं, नफ़रत के मारों के चलो सुमीत बन जाएं! बनें सुमीत सब ऐसे कोई न पड़े अकेला, इस दुनिया को करे बहनचारे का खेला! बहनचारे का खेला नहीं सिर्फ़ ये भाईचारा, शामिल हों इसमें सब, नहीं खासा-प्यारा!  हर कोई खासा-प्यारा यही तो है मानवता, यकीन मानो है हम सब में ये क्षमता! क्षमता कितनी हम सब में ये न पूछो, बुद्ध हुए अपने ही बीच, कबीर सोचो!! (एक इंसान से मुलाकात हुई, बात हुई, इंसानियत पर हुए ज़ख्मों का दर्द उनकी आंखों में नज़र आया, वो भी एक डर होता है जो हाथ आगे बढ़ाता है गले लगाने के लिए, ये बात समझ मे आई)

हिम्मत के हथियार!

हिम्मत के हथियार चाहिए नफरत नहीं प्यार चाहिए अपने हाथों में हो अपनी कश्ती की पतवार , हिम्मत के हथिया र, हिम्मत के हथियार.... कौन कहे किस को बेगाना , मजहब किसने समझा जाना मंदिर मस्जिद की बातों में, नफरत से इंकार हिम्मत के हथियार, हिम्मत के हथियार.... कब तक हम बर्दाश्त करेंगे, मासूमों पर वार सहेंगे दिल में अपने प्यार जगा दे, अब ऐसी ललकार हिम्मत के हथियार, हिम्मत के हथियार.... अपने सबको ही प्यारे हैं , बीच में कौन से दीवारें हैं गुलशन हरसू फूल खिला दें, ऐसे कारोबार हिम्मत के हथियार, हिम्मत के हथियार.... हमको सबका साथ चाहिए, हर झगडे की मात चाहिए नेक इरादों के मौसम से, ये दुनिया आबाद हिम्मत के हथियार , हिम्मत के हथियार.... सबके दिल में आस चाहिए , उमींदों की प्यास चाहिये मौसम बदलेंगे जब बदलें, मौसम के आसार हिम्मत के हथियार, हिम्मत के हथियार.... हक की सारी बात चाहिए नहीं कोई खैरात चाहिए, चलिए बनें संविधान के ऐसे पहरेदार, हिम्मत के हथियार, हिम्मत के हथियार.... हमको खबर ए यार चाहिए दोस्ती भाईचार चाहिए रि...

आपके आईने!

और आप खुद को पहचान गए हैं, या दुनिया का कहा सुना मान गए हैं? आप क्यों दुनिया के हज़म हुए जाते हैं? अपने मसालों से आप क्यों बाज़ आते हैं? हर एक चीज़ आईना है, आप क्यों खोए हुए हैं? रोज नए सच सामने आते हैं, आप आईने देखने कहाँ जाते हैं? आईने आप को नापते नहीं! ऊँचनीच आपकी नज़र में है!! सवाल ही रास्ता हैं, क्या आप चल रहे हैं? आप कौन हैं गर ये सवाल है,आजकल?! पूछिए उनसे जो फिलहाल मिल रहे हैं!! डर रहे हैं? क्यों संभल रहे हैं? दुनिया चाल! आप चल रहे हैं? वही मुमकिन जो तय किया है, आप क्यों उम्मीद बदल रहे हैं?

कश्मीरियत!

मुस्करा के अपने दर्द बयां करते हैं, यूँ लोग अपनी ज़िंदगी मकाँ करते हैं। खींच ली है जमीं पैर नीचे से, हम हैं के फिर भी सफ़र करते हैं! मुश्किल में मदद की जरूरत पड़ती है, हम मुश्किल में भी, सबकी मदद करते हैं! फौज को फ़ज़ा कर दिया है कश्मीर की, अब ज़ज़्बे से हम ये आबोहवा करते हैं! कश्मीर जग़ह नहीं सिर्फ हमारी वज़ह है, यूँही नहीं ये बात हम खूँ से बयां करते हैं! कश्मीर आइये आपको कश्मीरियत मिलेगी, अपनी मुश्किलों को हम नहीं दुकां करते हैं!

तमाम तस्वीरें!

तलवारों की ही धार हज़म करते हैं, युँ जिंदा उऩ्हें उनके जख्म करते हैं! उम्मीद ही को अपनी कसम करते हैं, अपनी ही मुश्किलों को तंग करते हैं! सच हो गये गुमशुदा पैसों के गलियारे में, खबरें पकती हैं तिज़ोरी के अंधियारों में! आँखे भींच ली कौन कहे अंधियारे में, खबर आयेगी तब सोचेंगे इस बारे में! फ़िज़ूल सब बोलियां आपकी, ये बिकने वाली चीज़ नहीं, वो कोई और दौर था, अब सच को कोई अज़ीज़ नहीं! वो जायके और थे जब हिम्मतों के दौर थे, खुली हवाओं के अब कोई वैसे मरीज़ नहीं! बड़ी शान से सब अपना धरम होते हैं, किसको फ़ुर्सत देखे, क्या करम होते हैं! झुका दिये सर जहां पत्थरों में रंग देखे बड़े संगीन बुतपरस्तों के भरम होते हैं! खुली दुकान है मुसाफ़िर सामान है, कीमत अजनबी मेहमान है, लगा लीजिये आपको जो मोल लगे, ये सौदा बड़ा आसान है! काम आसान हो कि चंद दरवाज़े खुले रखिये, अपने लूटेरों के लिये दिल में थोड़ी जगह रखिये क्या फ़रक पड़ता है कि तुम खुश हो, जिंदगी समझने लगे तो क्या तीर मारा, ये कहो कि चलते हुए कंकड़ चुभते हैं, और नज़र में कोई पौधे हैं जो उगते हैं!  आखिर किस बा...

थियेरी - Theary C Seng

--> थियेरी   एक आवाज़  , तमाम कोशिश , एक दर्द जो बेचारा नहीं है  , आँसु पीना गवारा नहीं है  , ताकत सिर्फ़ यकीन की  , बदला तो कमज़ोर लेते हैं  , पर अपने अत्याचार से आँख मिला  , सवाल करना  , बचपन खोया नहीं है  , न ही बचपन के सवाल , अगर ये इंसां होना है  , तो मुझे मंजुर है , मेरा सवाल क्या हो  ? (थियेरी सेंग( http://www.thearyseng.com/ ) , जो "‌daughter of killing fields" के नाम से भी जानी जाती हैं, सात साल की उम्र में अपने मां -पिता के साथ पांच महीने जेल में रहीं. उनके मां -पिता दोनो, खमेर रुज़ के अत्याचार को बलि चड़ गये. वहां से बच निकलने के बाद, और अमेरिका में अपना शिक्षण पुरा करने के बाद अब थियेरी वापस कम्पुचिया(Cambodia) आकर 1975-1979 के समय में खमेर रुज़ के समय हुए जुल्म के जिम्मेदार लोगॊं को कटघरे में लाने में जुटी हुई हैं)

किसी की खोज , किसी की सोच

यकीं करो मन्नत आप की कबूल हो,  हालात की कोशिशें फ़िज़ूल हों जो लम्हे वजूद को जायज़ करते हैं,  वो कायनात को कबूल हों और एक रास्ता आप के सफ़र का मुन्तज़िर है वक़्त की आँखों, आपके लम्हे सर हैं! गुजर जाइए आप बेहिचक कायनात आप की कोशिशों को पर है!! लम्हे आप के मोहताज़ हैं, क्यों रुके हुए से आप हैं आप कदम तो उठाइये, मौके उड़ते हुए बाज़ हैं! बात तब है जब डोर अपने हाथ में आप ही अपने राम है,  सफ़र ही अपना काम है जिन्दगी हाथों का जाम है, कहिये कहाँ अगली शाम है आइने मै देखिये और कहिये, "क्या बात है" दुनिया को मिली सौगात है, जो सवाल आपके पास है इस सफ़र में आपकी साँस है!! गुजर गयी वो रात है,  रह गयी सो बात है, जो सामने, वो तेरे हाथ है, कहिये आप, क्या ज़ज्बात है?? कौन मिलेगा आपको आपसे बेहतर नए सफ़र के नए काफिले, बड़ जायेंगे कुछ फासले अपने एहसासों को पास ले,  और एक ठंडी साँस ले आस भी है, तलाश भी है, रास भी है एहसास भी प्यास भी है प्रयास भी,  आप हमसफ़र है अपने सफ़र के जो होता है अच्छे ...