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दास्ताँ-ए-IPL

वो सिकंदर ही दोस्तों कहलाता है , बाज़ी हार के जीतना जिसे आता है , निकलेंगे मैदान में जब भर के ज़ेब हम , हाथ की सफ़ाई का दिखला देंगे दम जो सब करते है मुरख वो क्यों हम तुम करें , युंही मेहनत करते करते काहे को हम मरें सबकी जेबें भरी हैं क्यों अपनी न भरें यहाँ के जो सिकंदर , खिलाड़ी नये पुराने इनकी ज़ेब के अंदर आओ मिल के कमाये मेरे यार , नही समझे है जो हमें तो क्या जाता है , सट्टेबाजी तो बुकी को आता है यहाँ के हम सिकंदर . . . बंदर . . . छुछुंदर , जेल के अंदर ! संत्री-मंत्री थैले भरते हैं, हम क्यों पीछे रहें हमाम के नंगों से . . . भला हम क्यों ड़रें IPL के हम हैं बंदर , बोर्ड़ पर बैठे असली धुरंधर,  कौन लेगा पंगा उनसे मेरे यार , नही समझे है तो तुम्हें हम समझाता है,  गरम रोटी पे हाथ बड़िया सिंकाता है,  बस किसी के हाथ लगेन मोबाईल नम्बर यहाँ के हम सिकंदर . . .  बंदर . . . छुछुंदर , ( "जो जीता वही सिकंदर के गाने" की तर्ज़ पर लिखा और IPL/ BCCI और Cricket में चल रहे बेढ्ंगे खेल को समझने की एक कोशिश) स्टार प्लस के ड़ांस शो को promote करने क...

IPL

मैच मैच न रहा , कैच - कैच न रहा ,  IPL हमें तेरा एतबार न रहा , एतबार न रहा ओक्शन के वक्त हुनर को सिक्कों से तौलते , वो तुम न थे तौ कौन था तुम्हीं तो थे , मैच बाद पार्टियों में खिलाड़ियों से खेलते वो कौन थे , वो कौन थी , किसे पता नशे की रात ढल गयी , आगे की किसे पता खेलदार   हमें तेरा एतबार न रहा . . एक जगह खड़े खड़े आसान कैच छोड़ते वो तुम न थे तौ कौन था तुम्ही तो थे रनआउट होने के लिये , थोड़ा धीरे दौड़ते वो तुम न थे तौ कौन था तुम्ही तो थे सारे भेद खुल गये राज़दार न रहा बी.सी.सी.आई. हमें तेरा एतबार न रहा, एतबार न रहा,  बॉल-बॉल न रही, बैट बैट न रहा ( "दोस्त दोस्त न रहा ..." की तर्ज़ पर लिखा और IPL/ BCCI और Cricket में चल रहे बेढ्ंगे खेल को समझने की एक कोशिश)