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मज़हब, इंसान और ...

राम का नाम , करने लगे काम तमाम , करते हैं खुदा का सौदा , और रंगीन शाम कौन कहता है अल्लाह के बंदे हैं ? दुनिया गटर है , और कीड़े गंदे हैं ! रख दिया आदमी का नाम ' आम ' एक के खून को बनाते है दूसरे का बाम... अपने मुल्क में इंसानों की फसल अच्छी है,  जब चाहे काट लो, छांट लो , बाँट लो, सप्लाई ज्यादा, डिमांड कम हो, तो कौडिओं के दाम लगते है, और फसल स्लम में हो तो पैदावार/यील्ड भी जबरदस्त, दो बीघा जमीं में बीस परिवार, इस से पहले की कोई सरकारी योजना की बीमारी लगे काट लो, छांट लो , बाँट लो, अब अल्ला मियां को थोडा और काम होगा, बन्दों तक कैसे पहुंचे, सजदा होते सरों को तो लाऊड- स्पीकर कान होगा, और वहां की आवाज़ वर्तमान की मुलाजिम है और जो अल्ला मियां से ज्यादा अपनी सोच पर यकीं रखते है दुनिया की चमक, रफ़्तार, और गरज़ अब सबकी अकीदत में सेंध लगा चुकी है सलाम अब सलामती हो गया है, वालेकुम किसी कोने में खो गया है!