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संदेश

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#हम_देखेंगे !

बीमारी फैली है नाम महामारी है! सुप्रीम कोर्ट को दो ट्वीट भारी हैं? सवालों के दायरे में सब को रखिए, सवालों के बाहर सब झूठ है बचिए! सरकार, न्यायपालिका, मीडिया, पुलिस, लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट! एक चाल है सबकी क्या कमाल है? पहले सरकार का फैंसला, फिर जनता का विरोध फिर सुप्रीम कोर्ट फिर जैसे का तैसा! क्रोनोलॉजी समझिए! आप के लिए विकास क्या है? पूंजीवाद के सिवा किसको जगह है?  और न्याय किसके साथ हुआ है? बड़ा पेचीदा मामला है, न्याय मूर्ति हो गए हैं  करें तो क्या करें?  उनकी मनोस्तिथि ... जो सरकार से मांग है वही न्याय व्यवस्था से भी? एक ही थैली के चट्टे बट्टे, पुरानी कहावत थी कभी? 'न्यायपालिका पर भरोसा', ये कहना मजबूरी सा बन रहा है? न्याय का काम आजकल कुछ ऐसा चल रहा है!

संविधान और विधान!

और निसर्ग से हमें क्या संदेश हैं? जैसी मर्ज़ी यही हमारे आवेश हैं? घमंड है सभ्यता का, बड़ा तैश है! आने वाले कल के बच्चों को क्या सिखाएं? बेहतर नहीं, के वो इस दुनिया न आएं? संविधान की जरूरत है खूब सवाल कीजिए, गद्दार है जो कहे,"ख़बरदार! जो मज़ाल कीजिए"! नाइंसाफी मंज़ूर हो अगर ये देशभक्ति है? तो एक नाम मेरा भी लिस्ट में जोड़ दीजिए! देशद्रोहीयों की ! इंटरनेट, बुलेट ट्रेन, ई_कैश, उ कैश, ये विकास है? या सोच समझ चेतना संवेदना कितनी अपने पास है? फिक्र नहीं इसकी कि ख़ाक हुए जाते हैं, सच है साथ सो बेबाक़ हुए जाते हैं! क्या आप को नफ़रत के बाज़ार नज़र आते हैं? सच लगते हैं आपको संदेश जो व्हाट्सएप से आते हैं? इंसानी हुक़ूक़ की बात कोई जंग नहीं है, आज की दुनिया को ये सोच तंग नहीं है?

#PrashantBhushan

चुप बैठ जाएं ये मानकर की सब सही है? आख़िर कौन हैं जिनकी मति मारी गई है? एक आवाज़ अगर आपका यकीन हो जाए?  क्या न्याय देंगे जो यूँ मुतमइन हो जाएं? कब हम अपने अंदर झांक कर देखेंगे? कितना ज़हर है और कहां उसे फेकेंगे? क्या बिक गया है और क्या अभी बाज़ार है?  अपनी कीमत बताईए बड़ी रईस सरकार है! पीएम केयर फंड्स के हक़ में फैसला है? कहाँ जा रहा है ये पैसा और किसका है? आजकल आपके क्या एहसास हैं? सच, अधिकार, सवाल कोई ख़ास हैं? क्या हम डर के गुलाम हो गए हैं,  जो सामने है उससे अंजान? पहचान वो जो आपको बेबाक करे,  किसी के हक़ के लिए आवाज़ करे!!

#HumDekhenge

रामराज्य का यही न्याय है, किस के कहे सुने से गुनाह है? अपने ही हक़ में फ़ैसला करेंगे, योर हॉनर, इंसाफ़ क्या करेंगे? ये सरकार दीमक है, किसको किसको चाटेगी? मीडिया, अफसरशाही, न्यायपालिका सफ़ाचट! सरकार का न्याय है, न्याय मूर्ति है? फ़ासीवाद की देखिए खूबसूरती है? माय लॉर्ड, योर हॉनर, जी हजूरी है क्या? कोई सवाल न करो ये मजबूरी है क्या? सही गलत कुछ हो, हमें ठीक नहीं लगा? रूठ गए हैं जस्टिस या कर रहे हैं फैंसला? सच को ख़ुद की वक़ालत करनी पड़े? ऐसी जहालत के दौर कैसे आ गए? लाखों मजबूर थे, मजदूर थे, घर से दूर थे, पर सरकार, न्यायपालिका साथ जरूर थे! सच की बात अगर यूँ गुनाह हो जाए? गोया गुनाह, न्याय की पनाह हो जाए!

सर्वोच्च च च च!

अब गुनाह ज़रा और आसान है, सुना कि कोर्ट का जजेज़ अब भगवान है, और भगवान के राज में  देर होती है, नारदी हेरफेर होती है, भगवान क़ानून नहीं पालता, भक्त का भला करता है, और बाकी सब को चलता, भगवान के राज पुजारी चलाते है, जिसमें, दुबे, पांडे, मिश्रा आते हैं, लंबा सफ़र तय किया है इस देश ने, न्याय के मंदिर में अब मंदिर वाला न्याय होगा, जो सोना चढ़ाएगा, उसका नम्बर पहले आएगा! लोकतंत्र को भावपूर्ण श्रधांजलि के साथ, सत्य मेवा फलते! नेता थे बेकार, नौकरशाही उनका शिकार, फिर बिके पत्रकार, अब न्यायपालिका पर वार!