बीमारी फैली है नाम महामारी है! सुप्रीम कोर्ट को दो ट्वीट भारी हैं? सवालों के दायरे में सब को रखिए, सवालों के बाहर सब झूठ है बचिए! सरकार, न्यायपालिका, मीडिया, पुलिस, लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट! एक चाल है सबकी क्या कमाल है? पहले सरकार का फैंसला, फिर जनता का विरोध फिर सुप्रीम कोर्ट फिर जैसे का तैसा! क्रोनोलॉजी समझिए! आप के लिए विकास क्या है? पूंजीवाद के सिवा किसको जगह है? और न्याय किसके साथ हुआ है? बड़ा पेचीदा मामला है, न्याय मूर्ति हो गए हैं करें तो क्या करें? उनकी मनोस्तिथि ... जो सरकार से मांग है वही न्याय व्यवस्था से भी? एक ही थैली के चट्टे बट्टे, पुरानी कहावत थी कभी? 'न्यायपालिका पर भरोसा', ये कहना मजबूरी सा बन रहा है? न्याय का काम आजकल कुछ ऐसा चल रहा है!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।