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तलाश के खोये!

हमें भी शौक है जिंदगी दांव पर लगाने का कोई काम पर इस कदर मुश्किल नहीं मिलता अजब है जिंदगी फ़िर भी एक शिकायत है आँसू पोंछते है साथ कोई रोये नहीं मिलता जिंदगी ने कुछ यूँ भी मंजर दिखाये हैं, सुख बाँटता है जो, वो ही सुखी नहीं मिलता अब शहरों में मेले भी ऐसे लगते हैं, हर कोई मिलता है कोई खोया नहीं मिलता भीड़ में कई पहचाने चेहरे हैं, अकेले कोई पहचाना नहीं मिलता! सहर होती है शहर में, रात कितनी बदनाम हो, सुबह भूला कोई भी किसी शाम नहीं मिलता हर कोई वही चलता है जिसका चलन है! अपने रस्तों का कोई जिम्मेदार नहीं मिलता किसको पूछे कौन बताये, ख्वाब हमारे क्या घर जायें बहुत हलचल है वहां अब कोई सोया नहीं मिलता