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पैरों तले ज़मीन!

ताक़त नशा है,  नशा लत होता है,  लत मजबूरी बनती है,  सच से,  ईमान से दूरी बनती है,  अपनी सोच,  जरूरत बनती है,  बस फिर क्या,  साम दाम दंड भेद,  फिर क्या खेद? सब शरीफ़ हैं,  कहीं न कहीं,  दायरे बस अलग अलग,  कोई दुनिया का है,  कोई देश का,  कोई धर्म का, जात का,  कोई मर्द बात का  कोई जमीन का,  कोई कुदरत-ब्रम्हांड का!  आप कितनों के शरीफ हैं? सब की लड़ाई है,  किस से?  किस वजह से?  अपने लिए, अपनों के लिए  खोए सपनों के लिए?  अपनी हदों से लड़ाई है  या  सरहद गंवाई है?  यकीन से जंग है?  या बंद आँख देशभक्त है?  उनका सोचें,  जो भूख से लड़ते हैं?

आंखों में, आंखों से...

रोज  जीते हैं, और मरते भी रोज़ हैं, अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख मिलाएं कैसे? सब जान कर, देख कर, न माने कैसे, और मान जाएं कैसे? अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख मिलाएं कैसे? जो 'है', वो 'था' अपने अकेले हैं और सब के साथ, क्या है हमारे हाथ? खाली हैं, तो क्या फैला दें? कोई वज़ह तो हो, खुद की पीठ ही सहला लें? मजबूर हैं पर मंज़ूर नहीं हैं, अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख मिलाएं कैसे? अपनी ही आह कब तक सुनें, कौन से दर्द चुनें, अपने या अपनों के? अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख मिलाएं कैसे? मुमकिनियत,  रवैया है या लतीफ़ा हौंसला बढाएं किसका किसकी पीठ सहलाएं? अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख कैसे मिलाएं? क्या तबीयत,  क्या तर्बीयत,  क्या हुकूक, क्या हक़ीकत,  हमारी वज़ा क्या है ओ रज़ा क्या है? बताएं? किसको,  कैसे  ?   अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख मिलाएं कैसे? टूटे काँच, बंद दरवाजे, गुमशुदा, साँसें या लाशें? हर कदम पहरा, शक गहरा, आईनों पर हरसू पहरा! अपनी ही आंखों में, आंखों से, आँख ...

कश्मीरियत!

मुस्करा के अपने दर्द बयां करते हैं, यूँ लोग अपनी ज़िंदगी मकाँ करते हैं। खींच ली है जमीं पैर नीचे से, हम हैं के फिर भी सफ़र करते हैं! मुश्किल में मदद की जरूरत पड़ती है, हम मुश्किल में भी, सबकी मदद करते हैं! फौज को फ़ज़ा कर दिया है कश्मीर की, अब ज़ज़्बे से हम ये आबोहवा करते हैं! कश्मीर जग़ह नहीं सिर्फ हमारी वज़ह है, यूँही नहीं ये बात हम खूँ से बयां करते हैं! कश्मीर आइये आपको कश्मीरियत मिलेगी, अपनी मुश्किलों को हम नहीं दुकां करते हैं!

कश्मीर, कश्मीरियत और खामोश सवाल!

कश्मीर, मुस्कराते लोग, हँसते बच्चे, बर्फीले पहाड़, पाक-साफ़ पानी इन्तहां खूबसूरत! कश्मीरियत, जज़्बा         इरादा,         हाथ में हाथ, मुश्किल में साथ, दर्द में डूबे हालात, मुस्कराते हमसे बात, एक सवाल सिर्फ, "आप ही बताएं..." हम क्या बताएं?