हर लम्हा सिखाता है इज़हार क्या हो जरा सुनिए दिल की आवाज़ क्या हो कहने को बहुत करने को बहुत दुनिया का शोर, डरने को बहुत कहता है प्यार मरने को बहुत समीकरण नहीं दिखता, तो जंजीर क्या नज़र आएंगी जिंदगी हर लम्हा भरमायेगी चलने से पहले क़दमों के निशाँ नज़र आते हैं और सोचते हैं अपने रास्ते जाते हैं, वक़्त आयेगा नहीं, आप को आना होगा प्यार वो है जो जमीं बने आसमान बने निशाँ नहीं, परछाई नहीं एक है सच कहने करने की बात नहीं जुडना पड़ता है पंख नहीं होंगे यकीं से उड़ना पड़ता है
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।