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ऑक्सीजन!

 .......(फूलती साँसे)  ........हाँफते हाँफते एम्बुलेंस....?  रिक्शा, ठेला....जो मिल जाए सो! अस्पताल इंतज़ार, लंबी लाइन कागजात ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन ........ (खामोशी) .........(कोई जवाब नहीं) ..........(अबकी बार, इंतज़ार) ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन सरकार कहाँ है?  ओह! चुनाव रैली!! , अरे "A" को ऑक्सीजन चाहिए (ट्विटर पर x) अच्छा में पूछता हूँ, (ट्विटर पर Y) Y (व्हाट्सअप ग्रुप में)  अरे! "A" को ऑक्सीजन चाहिए XYZ,  पूछो, बताओ, पता करो, (व्हाट्सएप, टिवटर, फेसबुक, इंस्टा) हां मिला! उसको बताओ, कनेक्ट कराओ,  वहां पहुंचाओ!! ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन हां मिल गया हां मिल गया हां मिल गया  हां मिल गया हां मिल गया.... 1. अब शायद बच जाए! 2. बच गए! 3. हस्पताल में बिस्तर नहीं है! 4. मिल गया, पर अब देर हो गयी! 5. अब ऑक्सीजन नहीं, क्रियाकर्म करवा दीजिए! ..... अब की बार, अंतिम संस्कार!!

उम्र जान!

चीज़ क्या है संविधान क्या जान कीजिए? लाठी को मिलेगी भैंस ये ही कानून लीजिए! कब सोचा था सर पड़ेंगे ऐसे फिरकापरस्त, मुश्किल न हो आखों पर रेबान लीजिए!! आंखों में उनके सरम कैसे ये मान लीजिए, कपड़ों को देख कर उन्हें पहचान लीजिए! इस हिंदुत्व-स्थान में आपको आना है बार बार, पहले अपने जमीर की ख़ुद जान लीजिए!                          किस ने कहा कि आपका भी है हिंदुस्तान? पहले हज़ार बार जुबां पे श्री राम लीजिए !!! होंगे आप सिक्ख, ख्रिस्ती या मुसलमान, हिंदू का है हिंदुस्तान पहले मान लीजिए!! बड़े प्यार से करते हैं वो नफ़रतों की बात, लीचिंग की बात आप ज़रा आसान लीजिए! मुल्क चीज़ ही क्या, काहे मेरी जान लीजिए, नफ़रत के हर तरफ चलो बागवान कीजिए! भूखे भजन नहीं होता ये है पुरानी बात, करोड़ों का है काम जो श्रीराम कीजिए!!

लातों की बात!

पुरानी कहावत है 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते' पर बातों के भूत अब कहते हैं लात मार के भगा दो! बड़ा कनफ़्यूज़न है? ये बात वाले हैं कि लात वाले हैं, या यूँ कहिये कि एक हैं सब बात वाले ही लात वाले हैं, इनकी बात लात है, (जगज़ाहिर है, 2 साल से पाकिस्तान की तरफ लात है) इनके ज़ज्बात लात हैं, (साध्वी, स्वामी, शाह को सुन लीजे) इनके सवाल-जवाबात लात हैं (सोशल मीड़िया पर इनकी ट्रोल सेना का लिखा गवाह है) इनकी परंपरा लात है, (सीता गवाह है) इनकी नीयत लात है (द्रोपदी गवाह है) इनकी सूरत लात है (गिरिराज, भागवत,तोगड़िया, कटियार) इनकी सीरत लात है (कर्नल पुरोहित, माया कोंड़ाणी) ज़ाहिर है इन्हें बात में भी लात आती है, अहंकार कहें या अंधकार जिस जनता को दाल-सब्जी लात मार रही है, उसी को कह रहे हैं, 'अच्छे दिन न आयें तो लात मार देना' किसको? खुद को? इतनी बड़ी बेफ़कूफ़ी की, बात पर भरोसा किया, अब क्या किस को दोष दें, खुद का ही सर पीटेंगे, या मर्द होंगे, जिनको अपने दर्द को छूना नहीं जानते, तो दारू पीकर लात ही चलाएंगे, अपने चारदीवारी के महफ़ूज़ माहौल में! प...

रामलछन

राम नाम के काम सब, राम नाम के लच्छन, इज्ज़त से सब खेल रहे राम जपन के बंदर, राम जपन के बंदर सारे बने दुषासन, लाल किले पर चढ़के ये देते भाषण, भाषण के बड़े बीर लगाबें झूठे नारे, संविधान पर बैठ जोर से राम जपारे, जप के ज़ोर से राम राम मस्ज़िद दिए गिराये, नफ़रत के सौदागर अब देस अपना चलायें, देस अपना चलायें राम के सारे जादे, बेच दिए पूरी देसवासी अक्ल के आधे, अक्ल के आधे राम को सारे अंधे, मज़हब के चल रहे तमाम धंधे अंधे, धंधे-अंधे चला रहे माया  का जादू, चला रहे सत्ता अंबानी-अडानी के बाबू अंबडानी के बाबू सब देस को सेब बनायें, बेचेंगे ये मुलक कोई जो जेब गरमाए, गरम जेब के लालच में देसभगत सब आये लालच की भक्ती में सारे राम-लुभाये! रामलुभाये आसा, देव, और श्री के संकर, फूल चढ़ाये बहुत कोई अब फैंको कंकर!

कमल की कीचड़!

हाल बताते हैं कि हालात क्या होंगे! लातों के भूत से सवालत क्या होंगे! माना छप्पन का सीना, पर खोखला है, ये आदमी पूरा का पूरा ढकोसला है! छप्पन का सीना है, कि कोई बड़ा कमीना है, ईलेक्शन का महीने में अब बीबी को चीना है! अगर करते हप अपनी बीबी से प्यार तो मोदी सरकार से करो इनकार ! नाम बेचते हैं अपना और अपने ही गुण गाते हैं, कैसी भूख है कि अपनी शरम बेच के खाते हैं! कलयुग कहते हैं कमल से कीचड़ बहती है, सिरफ़िरी दुनिया उसे मोदी कहती है!! नाम नरिंदर, सीना धरमिनदर, मूँ मिंया मिठ्ठू है, शेर की खाल में छुपा भेड़िया संघ का ट्ट्टू है!

भा. ग. जा!

मंदिर यहीं बनाएंगे, मूरख कौन समझाएंगे, लौटते में बुद्धू कई घर फ़ूँक आयेंगे! दुनिया बड़ी भ्रष्ट है आपको बड़ा कष्ट है, फ़ासीवादी ताकतों से पर क्यों एड़जस्ट है! शब्द का फ़ेर है, देर है अंधेर है, जागे हैं आप या अभी थोड़ी देर है! कमल से कीचड़ निकलेगी संभल के धरिये, ग्ंदगी फ़ैलाने का इससे बेहतर तरीका क्या? समझ समझ का फ़ेर है ये आम है कि बेर है, चश्मे उतार के देखिये ये देर नहीं अंधेर है चारों और चमकती है, आज कल रोशनी बिकती है, कोई भी अखबार देख लीजे वो तस्वीर किसकी है हमारा सच एक,धर्म एक, मालिक एक, दूसरा कुछ भी हमारे त्रिशूल को भेंट!

छप्पन चालीसी!

छ्प्पन का सीना है और दुम पैरों में छिपाई है,  असलियत सियार की न समझो हातिमताई है कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा नरिंदर ने कुनबा जोड़ा दुनिया का कचरा भर कर हो गया छप्पन चौंड़ा! ढोल पीट कर खुद का बखान करते हैं,  वो लोग जो कब्रों को मकान करते हैं! सरकस-ए-जमहूरियत और बंदर मदारी हैं,  नयी चीज़ है बाज़ार में बिक्री ज़ारी है! गांधी गांव का चौथा बंदर, सुनते हैं नाम नरिंदर,  देख बुरा, बोल बुरा, बुरा सुनना इसका मनतर! नर, इंदर है या नर, भक्षी, क्या इसका निवाला है,  किसको पूछें कौन बतायें, सच का बस हवाला है! नरिंदर की शादी है नरिंदर की बारात है, मत आईये "आप" ये किसी और का गुजरात है! छप्पन का सीना है और अरविंद के नाम से पसीना है, किस तरह का मर्द नरिंदर, समझाये अगर कोई चीना है? ड़र के मारे सीना छप्प्पन हो गया, कोई खिलाड़ी बड़ा कच्चन हो गया!

राम नाम सत्य है!

लगता है आप किसी संघ फ़ेमिली से आते हैं ? या उनके बेचे हुए सच आप को फ़ुसलाते हैं ? क्या घड़ियाली आँसू आप को खूब भाते हैं ?  चलो अंग्रेज़ों को आका बनाते हैं वीर सावरकर कहलाते हैं , वैसे आजकल मोदी कहे जाते हैं , हिंदू होना सबको सिखाते हैं , अपने हर शहर में पाकिस्तान बनाते हैं , हम हिंदू धर्म के सेनापति हैं , जात पात हमारी शान है , जात की क्या लड़ाई , सत्य Brahmin/ ब्राह्मण है यही राम है , जात के नाम पर मत लड़ो , नीच जात जाओ सड़ो ! हम कमल तुम कीचड़ , दुर हटो लीचड़ हम रथ वाले, हमसे क्या मुकाबला करोगे , जानी , तमाम शहीद हो गये , तारीफ़ है अड़वाणी जय श्री राम , सब के सब मरोगे हम भगवान के दूत हैं , सारे दंगे इस का सबूत हैं , ( ये सच है कि जितने दंगे आज तक आज़ाद भारत में हुए हैं उनमें मुसलमान मृतकों का बहूमत रहा है , जाहिर है मारने वालों में किस का बहुमत होगा ) मारते वक्त हम उम्र और हैसियत का लिहाज़ नहीं करते , चाहे एहसान जाफ़री हों या गर्भवति शमीना हम अपने इरादों पर ' अटल ' हैं , चलो बच्चों को सच का इतिहास पड़ाते हैं , नाथूराम गोड़से क...

भगवा जहर!

एक वो जहर जो मार देता है , एक वो जो विचार देता है , नफ़रत हमें तैयार देता है , सफ़ेद झूठ जो सच बन के ऐंठते हैं जो गेहरे पैंठते हैं , दिलो-यकीं में जाके बैठते हैं , दो अलग अलग दो को चार करता है , नमक मिर्च मसाला ड़ाल अचार करता है ! लड़की मुस्लिम थी , लड़के पाकिस्तान , ऐ . के . 47, अब आप अपना अपना सच बना लीजिये , अरे हां , वो जो बचपन से सुने हैं माँ - बाप , चचा से , वो भगवा सच अब जवान हो गये हैं , नमक , मिर्च , मसाला “ मुस्लिम से कभी शादी मत करना . . . ” जय सिया राम , “ जनसंख्या बड़ाने के लिये बच्चे करते हैं . . .", कृष्ण हरि हरि , “ पाकिस्तान को ज्यादा प्यार करते हैं . . . " शिव शिव “ पानी मत पीना थूक कर देते हैं . . . ” जय हनुमान , अब कहती रहे माँ माथा पीट - पीट के , मेरी बच्ची मासूम थी , पुलिस कह रही है , कानून बोलता है , पर भगवा आँखों पर पड़ा है पर्दा सच पे तमाम गर्दा पड़ा है , कौन ज़हमत करे अब हमने उसे आतंकी मान लिया है , " और वैसे भी वो मुसलमान थी , तो ये कोई आश्चर्य की बात नही ये लोग होते ही ऐसे...