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ये कैसे रिश्ते?

रि श्ते 'जरूर' होते हैं,  क्यों पर मजबूर होते हैं?  जितने नज़दीक हों,क्यों,  उतने मगरूर होते हैं?  रिश्ता मतलब साथ है  इज़्ज़त है, विश्वास है  फ़िर क्या इतना उकसाता है?  क्यों कोई हाथ उठाता है?  अब क्या रिश्ता रह जाता है? क्या सिखा रहे हैं रिश्ते,  समाज धर्म, व्यवस्था  "गर्व करो" जो जैसा जहां  सवाल की जगह,  कहां?  बड़ो की मानो  वो भी नतमस्तक होके परंपरा जानो, मानो  सीता पर शक  द्रौपदी पर बाज़ी,  काट दो नाक कान  अगर नहीं राज़ी  लगा दो इल्ज़ाम  "शूप्रणखा" वो कौन सी दुनिया होगी,  सब की जिसमें जगह होगी?  साथ ही साथी की वज़ह होगी  मोहब्बत इज़्जत से नापी जाएगी  ताकत सरताज़ नहीं होगी,  खुद को बनाने के लिए  दुसरे को तोड़ना नहीं होगा,  दुनिया के नाप से कोई  कम न होगा,  आज़ादी और क्या है?

प्यार बीमार, चलो जाने दो!

तुम्हारी भी कुछ कमियां हैं, मेरी भी कुछ खामी है, मेरी मार मुझे पहचान न दो अपने प्यार के बीच ,  दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो,  मैंनें मारा, मैंनें माना, मेरा प्यार भी, तुमने जाना, मैंनें माना मैं बदलूंगा, मेरी कोशिश जारी है, आज फिर हाथ फिसल गए, अपने प्यार के बीच ,  दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो, मैंने धमकी दी, अंजाने में, मारा तुमको, आवेश में,  वो गुस्सा था मेरे भेष में, जानती तो हो अब मान जाओ, चलो साथ अपने मकान आओ अपने प्यार के बीच , दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो,  क्यों दूसरे से बात की, (2झापड़) बदन की क्यों नुमाइश की? (स्लीवलैस?) (दो घूंसे) क्यों मेरे सिवा कोई जरूरी है? (दे लात) ये हाथ में क्या ग्लास है? क्यों और कोई प्यास है? क्यों कोई और आस है? मेरा प्यार तुमसे मांगता है, ये दो एक छोटी बात है! क्यों इस पर कोई सवाल है? क्या यही तुम्हारा प्यार है? और शिकायत ये क्यों मार है? अपने प्यार के बीच , दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो, सुनो मेरी भी आह को, जो टूटा हूँ, इस चाह को, क्या तुम नहीं मुझे ज...

मेरा प्यार बेशु_मार!

प्यार इतना हद से ज्यादा  की हाथ उठ गया, वो रोई, मैं रोया मसला मिट गया! प्यार इतना हद से ज्यादा उसको मुस्कराते देख किसी और को हाथ उठ गया मैंने फिर खुद को भी मारा मैं ही बेचारा! प्यार इतना हद से ज्यादा वो मेरी है हमेशा रहेगी,  मेरी बात नहीं मानी तो  हाथ उठ गया मेरा प्यार मैं लाचार अब नहीं दोबारा! प्यार इतना हद से ज्यादा दिन-रात, चार पहर प्यार के लिए तुम थक गईं? मुझको नहीं गंवारा, इसलिए हाथ उठ गया, मेरा व्यवहार मेरा प्यार, हर बार लगातार! प्यार इतना हद से ज्यादा तुम ही मेरी सब कुछ मैं भी तुम्हारा दाता, हमारी पसंद एक है, तुमने सवाल पूछ डाला? फिर हाथ उठ गया, मेरी मर्ज़ी, मेरा प्यार, और कुछ भी ख़बरदार! प्यार इतना हद से ज्यादा मेरा सब कुछ तुम्हारा खुशी, दुख, डर, गुस्सा इसमें भी तुम्हारा हिस्सा था गुस्सा उस से, किसी पर, सो हाथ उठ गया मेरा गुस्सा, मेरा प्यार करो स्वीकार! प्यार इतना हद से ज्यादा थप्पड, घुंसा, बेल्ट, ड़ंडा, सुलगती आग,  उस पल जो आए हाथ नहीं तो फिर...

मत करवा चौथ!

कैसे मर्द होंगे ...ना! अपनी उमर को लंबी करने को औरत को भूखा करते हैं, बाज़ार में मुँह मारते हैं, और घर उनको प्यासा रखते हैं? गली के कुत्ते, चारदीवार के अंदर हुंकार भरते हैं, कस के दो मारते हैं, गुस्सा है तो क्या प्यार भी करते हैं! कैसे हम फ़्यूचर तैयार करते हैं? कैसा? बराबरी से इंकार है? बेटी से प्यार है पर उसकी मर्ज़ी बेकार है, होन्र किलिंग हमारा सांस्कृतिक व्यव्हार है?