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चंद गफ़लतें और तमाम मुगालते

और हम इन्सान हैं, यही विज्ञान है, सोच और समझ, नज़रिये और नज़ाकत, बेहतरीन नस्ल है, न खत्म होने वाली फ़स्ल है, सबसे आगे, इतना, कि कंहा से शुरु हुआ वो अब खबर नहीं है, और जरुरत भी क्यों हो, हम हकीकतें‌ बनाते हैं, जो पसंद हो, उसी को सच का ज़ामा पहनाते हैं, मज़हबी, सियासी, तहज़ीबी, इक़्तेसादी मुए! हम नूए ही ऐसे हैं,  जंगल, जानवर, जमीं ज़ायदाद हैं, खर्च करने की चीज़, और हम करते हैं, दिल से, दिमाग से फ़र्क करते हैं,  जो हमारे काबिल नहीं, उसका बेड़ागर्क करते हैं, हम इंसान हैं, बस यूँ समझिये, इस दुनिया के भगवान हैं, हर शक्ल ताकत करते हैं, बुद्ध और सांई सोना है, पैसे का बिछौना है,  कारोबार इबादत करते हैं, पैगाम शहीद हैं और पैगम्बर एक अच्छी खरीद और हम सब मुरीद हैं! इख्तेसादी - Economic; पैगम्बर - Messiah; मुरीद - Follower

प्यारे सवाल!

मुसाफ़िर अपने सफ़र पे निकल जाते हैं ,   काहे पुराना नाम - सामान लिये जाते हैं।। रास्ते जिंदगी के कभी खत्म नहीं होते , जो प्यार करते हैं उऩ्हें जख्म नहीं होते !! सब अपने रस्ते हैं मर्ज़ी के मोड़ गये , आप खामख़ां सोचते हैं छोड़ गये ! टुटे हुए वादों को क्यों संभाल रखते हैं ,  भूल गये शायद के नेक इरादे रखते हैं ! जब तक रास्ता एक है हमसफ़र है , पर अकेले है तो क्या कम सफ़र है ? मोहब्बत एक तरफ़ा रही तो क्यों परेशान है , चार दिन की लाईफ़ है , और सब मेहमान हैं ! मोहब्ब्त के बड़े सीधे - सच्चे कायदे हैं , दुकान खोल लीज़े जो नज़र में फ़ायदे हैं ! वक्त बदला , ईरादे बदले , अब आगे बड़े हैं , एक जगह आप अड़े हैं तो चिकने घड़े हैं , ये फ़रीब - ए - नज़र है या अना का असर है , आप ही वजह हैं और आप ही कसर हैं ! (टुटे दिलों और फ़रेबी मुश्किलों की देवदासिय आदतों की दास्तानों से उपजी)