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वो लोग!

  लोग मिलते हैं,  बात करते हैं, हम सुनते हैं, जज्बात करते हैं! दुनिया वाले हालात करते हैं, चंद लोग सवालात करते हैं, उन्हें नहीं चलनी भेड़चाल, तय रास्तों को लात करते हैं! मुश्किलें किसी की हों, नए रस्ते इज़ाद करते हैं, यूं समझते हैं किसी को, उस हमदिली की दाद करते हैं! मुश्किलें नहीं रोकतीं, आगे की बात करते हैं, जंजीरों से हालात की खुद को आजाद करते हैं! हम देखते हैं उनको, दो हाथ साथ करते हैं, रास्ते मिलते हैं, उनसे सफ़र की बात करते हैं! (पिछले 8 महीनों से प्ले फॉर पीस ने तमिलनाडु मैं जेसुइट रिफ्यूजी सर्विसेस के साथ काम करना शुरू किया है. हम संस्था के सब स्टॉफ के साथ काम कर रहे हैं जो तमिलनाडु के 29 जिलों में फैले श्रीलंका के तमिल शरणार्थीयों के 105 कैंपों में बच्चों के साथ काम कर रही है। पहले प्रशिक्षण के तीन महीने बाद ही बदलाव की बहुत कहानियां पता चलीं। दूसरे प्रशिक्षण में सब के साथ मिलकर, उनका जज्बा जान कर लगा कि लगन और ग्रोथ मानसिकता के साथ काम करने वाले कितना बदलाव ला सकते हैं। ये कविता उन्हीं को समर्पित है)  

जिंदगी समंदर

सुबह समंदर की, कुछ बाहर से कुछ अंदर की, शांत किसी बवंडर की, सब कुछ है, और कितना कुछ नहीं, ये सच भी है, और है भी सही, कोई है और है भी नहीं, सामने है वो साथ है क्या, माक़ूल ज़ज्बात हैं क्या, खोये की सोचें, या पाए को सींचें, लम्हा हसीं है, पर कैसे एक उम्र खींचें, हाँ है अभी, उतना अपना, जितना आप छोड़ दें, हाथ बड़ाएं तो क्या तय है, वो पल मुँह मोड़ दे, जो है बस वही, आगे कुछ नहीं, ज़िन्दगी समंदर है, लम्हे सारे बंदर, पकड़ने गए तो हम क्या रहे!?

पानी समंदर!

हर वज़ह पानी है, हर जगह, कितने मानी हैं, रोक रहा है रस्तों को, ओ कहीं सफर की रवानी है, कभी हवा है, कभी मौसम, रंग भी नहीं, कोई, ढंग भी नहीं, शिकायत भी है, ओ जश्न भी, कभी सवाल है, कहीं मलाल है, कहीं हिमालय है, कभी आपका गाल है, किसी का तीर, किसी को ढाल है, कहीं गंगा नाला, हलक सूखा निवाला घाट घाट का, कभी चुल्लू काफी, कभी पानी पानी आपकी हक़ीकत, अपनी ही कहानी, नज़र आ रहा है क्या, और किसकी है निशानी!