मुझे झुर्रियाँ चाहिए, अपने चेहरे की महीन दरारों में, यादनामा लिखना है, ज़िंदगी के गहरे ज़ख़्म झुर्रियों की तमाम परतों में, ज़ाहिर उन नज़रों पर, जो मुझ पर टिकती हैं, और हर एक उगते सूरज से मिलता तोहफा, नई सांस भरने का, वो देखा!! एक दोपहर मैं इतना मुस्कराया मेरा पूरा चेहरा भर आया!! -विलो टैगान
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।