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दिया तले जिया जले!

अंधेरे को रोशनी से छुपाने का हमराह किया है, चकाचौंध ने हमेशा ही सबको गुमराह किया है अंधेरे छुपाने को रोशनी बुलाए हैं, मोम हो रही सारी विधाएं हैं! अंधेरों को छुपाने रोशनी की साज़िश है, आँख बंद कर बैठिए, बड़ी नवाज़िश है!! अंधेरों को छुपाने के लिए रोशनी बुलाई है, ज़रा डॉक्टरों से पूछ लेते जो हजार कमी आई हैं? जला जला के मोम को दिए सबको बहकाए, दिए तले अंधेरा है मूरख काहे तू ये भुलाए! स्याह इरादे हैं और रोशनी के वादे हैं, रोशनी सामने कर सच से सब भागे हैं! सवाल नहीं हैं तो बेमतलब आप जागे हैं!  हाथ धरे बैठे थे अभी आंख खुल आई है, निकम्मेपन से सरकार के ये नौबत आई है!! अंदर के अंधकार को छुपाते रहिए, झूठी फिक्र को बस जलाते रहिए! लालटेन अंधेरे से सवाल करती है, आंख बंद कर हामी नहीं भरती! रोशनी वो जो रास्ता दिखाए, वो नहीं जो आंखों पर्दा कर जाए! रोशनी से अंधेरों‌ को छुपाएंगे,   बाज़ीगर वो आप जमूरा कहलाएंगे!  हर चीज़ तमाशा है, हर बात तमाशा, बहुत आशा है सबकी , वाह वाह तमाशा!! कहते सबके साथ हैं, धरे हा...

अंधे आसमाँ 1

मैं आकाश का काश! मेरे आकाश मेरी जमीं हाथ कुछ भी नहीं और मैं अधर में अपने यकीन पर शक ओ दुनिया के बताए झूठ से ललचाया , मैं हूँ अपना ही साया , अपने अंधेरों की परछाई , सच्चाई कभी रोशनी में नज़र ही नहीं आई! हिम्मत है? अंधेरों के सच जानने की? अपनी रूह को नापने की? अपनी खाल उधेड़ने की ? अपना खून समेटने की? सच तो हर जगह है , कहाँ देखूं?

रोशनी की साज़िश

तमाम रोशनी,  रास्ता रोशन करते! रास्ते किसका? कौनसा? किसके वास्ते? और जो दिख नहीं रहे? रोशनी के एकछत्र राज्य से, गुमनामी का शिकार, उन रास्तों का क्या? रोशनी चौंधियाती है,  मरीचिका,  आपको बुलाती है, और वो भी सतरंगी! चुनने की चुनौती,  और दौड़ में,  आगे रहने की पनौती, क्या आप अपने अंधेरों को जानते हैं? उनसे बात करते हैं या फिर जज़्बात? फिर कौन सी रोशनी चुनेंगे? कौन सा रास्ता? अपने अंधेरों को सुनेंगे या  चमक को गुनेंगे ? अंधेरों में आईने नहीं बोलते,  आप और आपके सच,  साथ  होते हैं, और  आप आप होते हैं! बाहर की रोशनी चमक है,  अंदर होगी तो आप रोशन होंगे! आपकी क्या समझ है?