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कश्मीर, कश्मीरियत और खामोश सवाल!

कश्मीर, मुस्कराते लोग, हँसते बच्चे, बर्फीले पहाड़, पाक-साफ़ पानी इन्तहां खूबसूरत! कश्मीरियत, जज़्बा         इरादा,         हाथ में हाथ, मुश्किल में साथ, दर्द में डूबे हालात, मुस्कराते हमसे बात, एक सवाल सिर्फ, "आप ही बताएं..." हम क्या बताएं?     

क्या खेल खेलें कश्मीर के बच्चे?

आज बहुत मजबूर हूँ, कश्मीर से बहुत दूर हूँ, जैसे पेड़ खजूर हूँ, याद आ रहे हैं वो दिन, वो लोग जो इंसान थे, हमारी तरह, तुम्हारी तरह एक उम्दा मेज़बान की तरह, साथ हंसते थे, हम परेशान न हो, इसके लिए परेशां रहते थे, जब उनके साथ "खेल से मेल" किया, तो सब वैसे ही हँसे जोर जोर से, जैसे लोग बनारस में हँसे थे, या कंदमाल में, दिल्ली में, पुणे में, जुबा में, येंगॉन में पर उसके बाद जो बात हुई, तब उनके दर्द से मुलाक़ात हुई, "हमारा बचपन अँधेरे को बली था" अब हम अपने बच्चों को हंसाएंगे, वो हमारे शुक्रगुजार हुए, और हम, अपनी नज़रों में ज़रा कम गुनाहगार हुए, कश्मीर भारत को खूबसूरत है, और सारे देशभक्त, उसको कोठे पर बिठाना चाहते हैं, एक जगह है सबके लिए, जहां से डॉलर्स आते हैं, पाउंड, यूरो, और रूपये भी, कौन छोड़ता है ऐसे माल को, हर साल जो नयी हो जाती है, वर्जिन तैयार नथ उतरवाने को, कौन देखता हैं कि वहां इंसान हैं, उनके दिल हैं, उनकी जान है, उनके बच्चे हैं जो सरकार की गोली कुर्बान हैं! सफर ज़ारी था, आने जाने में, कश्मीरी दोस्त हमको लगे जगहों के बारे बताने...

इश्क सलामत. . . !

चलो इश्क लड़ाएं ,  अच्छा लड़ाई क्यों,  इश्क रहने दो बस  तुम हो, मैं हूँ, साथ है, कुछ बात है तुम अब भी शर्मा जाती हो, मैं अब भी घबरा जाता हूँ फिर क्यों हम अपनी संवेदना से खेल रहें हैं मैं अब भी कम सुनता हूँ, तुम अब भी देर से उठती हो अब भी तुमारी बिरयानी मेरी चाय है, मुझे अब भी सही करवट लेना नहीं आता तुमको भी कहाँ ठीक से सोना आता मैं नहीं होता तो अब भी तुम MISS करती हो मौका मिल जाए तो, मैं भी पास आकर .... खैर छोड़ो तुम अब भी मुझे मर्द समझती हो मैं अब भी दर्द नहीं समझता अगर कुछ नहीं बदला  तो दर्द क्या है, कौन सी चोट है शायद हमारे देखने में खोट है या कोई पुरानी  चोट है और हम मलहम नहीं बन पा रहे कौन से घाव है जो नज़र नहीं आ रहे अरे . . .  कुछ करवटें हैं कुछ सलवटें बनी नहीं कितनी रातें है अपनी जो बिन गुजरे ही रह गयीं सोचता हूँ. . . कैसे हम बीमार हैं कि आपको बुखार है किसका हो इलाज, किसको ये अजार है सोचें तो. . .  कैसी ये अपने बीच ज़ख्मों कि दीवार है इश्क तुमसे है गर तो क्यों जख्मों से प्य...