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नैतिकता के बाज़ार!

इंसान उद्दण्ड हैं, झूठा सब घमंड है, दुनिया पर वर्चस्व का, नैतिकता, सभ्यता, घटिया मज़ाक हैं, बाज़ार का राज है, और सब बिक रहे हैं, मुंहमांगी कीमत मिले तो आप विजेता हैं, सही कीमत, आंखों पर पर्दा है, आप फिर भी सामान हैं! दर्द न हो  इसलिए मर्द हैं? तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी, एक्सप्रेस हाइवे,  चमकीले साइनबोर्ड, गगनचुंबी इमारतें,  क्या दिखाते हैं,  लॉकडाउन में  क्या छुपाते हैं,  हैरतअंगेज बात,  लाखों सड़क पर  तब कहाँ जाते हैं? चलते नज़र आते हैं,  जब शहर चलता है! सब कुछ ख़त्म नहीं है, कितनों ने हाथ बढ़ाए हैं, कंधे मिलाए हैं, मजबूरी के दर्द, दर्द की मजबूरी आमने सामने हुए साथ आए हैं, हमदिली है, शुक्र है, सब का, गुज़ारिश एक, सवाल एक साथ रखिए, कल हमें ये सब, कहाँ नज़र आएंगे?

हवा-पानी ज़मीं-आसमाँ

हवा ने जब छु कर अकेलापन दूर कर दिया, और कभी उसी ने याद दिला दी तन्हाई की!! हवा को खुल कर छू लेने दीजे, कई शिकवे जिंदगी के हवा होंगे! ज़िन्दगी कभी भी नीरस लगे, एक पत्ते पर ज़रा गौर कर लें! मौसम बिखरे पड़े है हर ओर जीवन के, हर पल मुस्कराने की वजह मौजूद हैं! नज़ाकत के दौर ख़त्म हैं, सच जलते हैं आजकल, सर्दी में हाथ सेंकने को!! कब समझेंगे कुदरत एक तोहफा है, कब मानेंगे तरक्की एक धोका है!! सर्दी सर्द नहीं अब, गर्मी पूरी उबल गयी, प्रकृति वही है हमारी हकीकत बदल गयी! ज़मीं देखिये आसमाँ देखिये, ज़रा अपना जहां देखिये, ऊँची इमारतों में बैठ, ज़रा अपने गरेबाँ देखिये! ये आसमां है आज, ये समां है, आप के मुस्कराने का सामां है! कभीकभार, संभल कर, पत्तों को देखें, ........ अपने को पहचानें! अपनों को?

सोती सभ्यता!

खोज, शोध, अविष्कार, तलाश परिपक्व, पुर्ण, सम्पुर्ण तक पहुँचने का विचार जीवन का अर्थ पाने के लिये, जीवन का तिरस्कार? कमजोरियॊं को अलग कर, पुर्णता पाने का प्रयास? पर सोचो! बिना अंधकार प्रकाश का क्या अर्थ मृत्यू नहीं तो कौन तलाशेगा, जीवन-अर्थ सरल सा विचार है,  Nothing is Perfect अर्थ?  कुछ भी पुर्ण नहीं, परिपक्व नहीं अनर्थ समझ-समझ की बात है! प्रकृति के साथ हमारी दौड़ में प्रकृति को पीछे छोड़ने की होड़ में ज्ञान के अंहकार में कहीं हम सब कुछ नज़रअंदाज़ तो नहीं‌ कर रहे ? इस तेज़ रफ्तार जिंदगी में हम कुछ ज्यादा आगे तो नहीं‌ निकल आये? जरा पीछे जायें! पुरानी कहावत है “जो बोओगे, वही काटोगे" पर आज कल गंगा उल्टी बह रही है हम ने काट लिया है अब बो रहे हैं ऐसा नही लगता ___? हम इस सभ्यता में भी सो रहे हैं?