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विकास विकासम विकासस्यम!

ये दुनिया,  और हम इंसान,  इसका केंद्र,  सब कुछ हमारे इर्द-गिर्द घूमता है,  क्योंकि हमें आगे बढना है,  सबसे आगे,  हर उंचाई पर चढना है, हमसे बेहतर क्या है?  ये कोरोना क्या है? तमाम ज़ंग हैं,  जिनसे लड़ना है,  भूख, पितृसत्ता, घरेलू हिंसा  देह व्यापार, बाल मज़दुर  और हमने क्या चुना है?  नफ़रत, मज़हब,  फ़ूट डालो और राज करो!  अमन-शांति  सब को जगा देगी,  उन सवालों तक पहुँचा देगी,  जो सच की तलाश में हैं! बादल,  हमारा आसमान हैं,  ऐसा हमारा ज्ञान है  जो सामने आ गया  उस को सच करते हैं,  खोज, तलाश, शोध  विज्ञान, सवाल, सुक्ष्म सोच,  ये सब बेकार बातें हैं  हमारे सच, आजकल  व्हाट्सएप पर आते है और हम उसे,  और दस लोगों तक पहुँचाते हैं,  फ़ॉरवडेड एज़ रिसीवड! एक बीमारी के फ़ेल हैं  घर बैठे जेल हैं  तरक्की के ये खेल हैं  एक वाइरस के बेकार हैं इतने हम लाचार हैं  'कुछ नहीं कर सकते'  ये विशेषज्ञों के उपचार हैं  कोविड 19 की व्यापकता  और गु...

अपने से गुमशुदा!

अपने ही रास्ते अब तय नहीं कर पाते, अपने ही सपनों में अब हम नहीं आते, अजनबी हो रहे हैं खुद से हर रोज़, जानते हैं अच्छे से पर मिलने नहीं जाते! कैसे कह दें के तमाम अरमान हैं, रास्ते अलग हैं दुसरे सामान हैं,  मर्ज़ी की मज़बूरी के सब काम हैं, शिक़ायत है के बहुत आराम है! खुद से ही कई शिकायत हैं, पर वो हम कर नहीं पाते! कई शौक हैं मुक्कमल हमारे ओ शोक जो किनारे नहीं पाते!! खुद के ही सामने नहीं आते, ज़िक्र करते हैं सुन नहीं पाते! दूर नहीं हैं अपने उसूलों से, पर उतने नज़दीक नहीं जाते!! धुरी भी हम, चक्का भी हम, हम ही सवार हैं! दूरियां तय नहीं होती, हम ही जिम्मेदार हैं!! ख़ुद से बग़ावत  हम कर नहीं पाते, संभले हुए हैं इतने, बहकने नहीं पाते!