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यतीम दर्द!

दर्द ये नहीं के बहुत दर्द है, ये कि दुनिया बड़ी बेदर्द है! मदद करने आ गए हैं सब और हर एक के यही दर्द हैं! अपनी ही जमीन से बेघर बुहार कर निकली गर्द हैं! ऐसी बेरुखी रहनुमाओं की, हमारे जिम्मे ही सारे फ़र्ज़ हैं! निकल पड़े मायूस वापस शहर आपके बड़े सर्द हैं! हिम्मत बड़ी काम आई है, मायुसियों के बड़े कर्ज़ हैं! नहीं समेट पाए जलदी में, छुटे शहर में हमारे दर्द हैं!